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अपने मां बाप का तू दिल न दुखा – औलाद की 5 किस्में

अपने मां बाप का तू दिल न दुखा – औलाद की 5 किस्में


दोस्तों, इस दुनिया में अगर किसी का सबसे बड़ा हक़ औलाद पर है, तो वह मां-बाप का है। चाहे आप मुसलमान हों या हिंदू, चाहे किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक रखते हों – मां-बाप हर किसी की ज़िंदगी का सहारा होते हैं। उनकी सेवा करना, उनकी इज़्ज़त करना और उन्हें कभी तकलीफ़ न देना हमारी सबसे पहली ज़िम्मेदारी है। इसलिए हमेशा याद रखो – "apne maa baap ka dil na dukha", "अपने मां बाप का तू दिल न दुखा"

मां-बाप की दुआएँ औलाद की ज़िंदगी बदल देती हैं और उनका दिल दुखाना इंसान को बरबादी की तरफ ले जाता है। इस पोस्ट में हम जानेंगे कि औलाद की पांच किस्में होती हैं और हर किस्म का अंजाम अलग-अलग है। आप सोचिए कि आप किस किस्म में आते हैं।


औलाद की पहली किस्म – नाफरमान औलाद

सबसे पहली औलाद वह होती है जो मां-बाप की ना-फरमानी करती है। मां-बाप चाहे कितनी भी बार समझाएँ, कहें या हिदायत दें – वह औलाद उनकी बात नहीं मानती।

ऐसी औलाद के लिए हदीसों और धर्मग्रंथों में बहुत सख्त सजाएँ बताई गई हैं।

  1. अगर वह पूरी ज़िंदगी सजदे में भी पड़ी रहे, तो भी उसके नवाफिल और फर्ज कबूल नहीं होते।

  2. Allah और भगवान कभी उन्हें माफ नहीं करते।

  3. उनके लिए जन्नत/स्वर्ग हराम हो जाता है अगर उन्होंने तौबा नहीं की।

इसलिए कहा जाता है – "apne maa baap ka dil na dukha", "अपने मां बाप का तू दिल न दुखा" वरना पूरी ज़िंदगी की इबादत भी बेकार हो सकती है।


औलाद की दूसरी किस्म – डर के कारण मानने वाली औलाद

कुछ औलादें ऐसी होती हैं जो मां-बाप की बात तो मानती हैं, लेकिन सिर्फ डर की वजह से।

  • कहीं घर से निकाल न दिए जाएँ,

  • कहीं प्रॉपर्टी न छिन जाए,

  • या फिर किसी और मजबूरी की वजह से।

ऐसी औलाद मां-बाप की सेवा तो करती है, लेकिन उसका इरादा नेक नहीं होता। इस वजह से उनके काम का कोई सवाब नहीं मिलता।

याद रखो – अगर काम दिल से न किया जाए, तो उसका फल भी नहीं मिलता। यही वजह है कि धर्म में बार-बार कहा गया है – "apne maa baap ka dil na dukha", "अपने मां बाप का तू दिल न दुखा" और उनकी सेवा मजबूरी नहीं बल्कि मोहब्बत से करो।


औलाद की तीसरी किस्म – एहसान जताने वाली औलाद

तीसरी किस्म वह औलाद होती है जो मां-बाप की बात तो मान लेती है, लेकिन हर काम के बदले में एहसान जताती है।

वह कहती है:

  • "क्या हमने आपकी बात नहीं मानी थी?"

  • "क्या हमने आप पर खर्चा नहीं किया?"

  • "क्या हमने आपका ध्यान नहीं रखा?"

ऐसी औलाद भूल जाती है कि जब वह छोटे थे, तो मां-बाप ने कितनी कुर्बानियाँ दीं।

  • जब बच्चा रात को पेशाब कर देता था, तो मां खुद गीले में सोती और बच्चे को सूखे में सुलाती।

  • मां खुद भूखी रहकर अपने बच्चे को खिलाती।

  • पिता दिन-रात मेहनत करके औलाद के लिए कमाता।

फिर भी अगर औलाद एहसान जताए, तो वह गुनाहगार बन जाती है।

इसलिए हमेशा याद रखो – "apne maa baap ka dil na dukha", "अपने मां बाप का तू दिल न दुखा" और कभी भी उन पर एहसान न जताओ।


औलाद की चौथी किस्म – खुशदिल औलाद

चौथी औलाद वह होती है जो मां-बाप की हर बात खुशी-खुशी मानती है। वह न तो डर से काम करती है और न ही एहसान जताती है।

बल्कि उसका दिल कहता है:
"अलहम्दुलिल्लाह, भगवान और Allah ने हमें तौफीक दी कि हम अपने मां-बाप का हक अदा कर सके।"

यही औलाद अल्लाह और भगवान के यहां ऊंचा मुकाम पाती है। यही औलाद समाज में इज्ज़त हासिल करती है और यही औलाद मां-बाप की दुआओं से तरक्की करती है।

ऐसी औलाद के बारे में साफ कहा गया है – "apne maa baap ka dil na dukha", "अपने मां बाप का तू दिल न दुखा" वरना तू कभी कामयाब नहीं होगा।


औलाद की पांचवी किस्म – बेहतरीन औलाद

यह सबसे बेहतरीन किस्म है। इस औलाद को मां-बाप से कहने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।

  • मां-बाप के दिल में जो ख्वाहिश होती है,

  • जो तमन्ना उनकी आँखों में छुपी होती है,

यह औलाद उसे बिना कहे ही पूरा कर देती है।

यही औलाद है जिसे Allah और भगवान सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं। यही औलाद है जिसे सबसे बुलंद मकाम मिलता है। यही औलाद है जिसकी वजह से मां-बाप की आंखों से दुआएं निकलती हैं।

इसलिए हमेशा बनो ऐसी औलाद जो मां-बाप की खामोश ख्वाहिश को समझे और पूरा करे। यही असली कामयाबी है। यही असली इबादत है। और यही असली पूजा है।

"apne maa baap ka dil na dukha", "अपने मां बाप का तू दिल न दुखा" – यही जिंदगी का सबसे बड़ा सबक है।


मां-बाप का हक औलाद पर

हर धर्म और हर समाज में मां-बाप का दर्जा बहुत ऊंचा है। इस्लाम में कहा गया है कि मां के पैरों तले जन्नत है, वहीं हिंदू धर्म में कहा गया है कि मां-बाप भगवान का रूप होते हैं।

उनकी इज़्ज़त करना, उनका कहना मानना और उनकी सेवा करना औलाद की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।

  • अगर मां-बाप खुश हैं तो पूरी कायनात खुश है।

  • अगर मां-बाप नाराज़ हैं तो ज़िंदगी की बरकतें छिन जाती हैं।

इसलिए हमेशा यही याद रखो – "apne maa baap ka dil na dukha", "अपने मां बाप का तू दिल न दुखा"


नतीजा (Conclusion)

दोस्तों, औलाद की पांच किस्में आपको बता दी गईं। अब आप खुद सोचिए कि आप किस किस्म में आते हैं।

  • नाफरमान?

  • डर के मारे सेवा करने वाले?

  • एहसान जताने वाले?

  • या फिर सच्चे दिल से मां-बाप की खुशी चाहने वाले?

हर इंसान को चाहिए कि वह अपनी औलाद की परवरिश ऐसे करे कि बच्चे हमेशा अपने मां-बाप का सम्मान करें और कभी उनका दिल न दुखाएँ।

क्योंकि सच्ची कामयाबी उसी की है जो अपने मां-बाप को खुश रखता है।

इसलिए आख़िर में एक ही बात –
👉 "apne maa baap ka dil na dukha",
👉 "अपने मां बाप का तू दिल न दुखा",
क्योंकि मां-बाप की दुआएँ ही इंसान की ज़िंदगी का सबसे बड़ा खजाना हैं।

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अपने मां बाप का तू दिल न दुखा – औलाद की 5 किस्में अपने मां बाप का तू दिल न दुखा – औलाद की 5 किस्में Reviewed by Hindi Mewati Blogs Nasir Mewati on रविवार, मार्च 22, 2020 Rating: 5

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