Sunday, December 6, 2020

 मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति का त्योहार क्यों मनाया जाता है makar sankranti ka tyohar kyu manate hai मकर संक्रांति त्योहार क्यों मनाया जाता है



मकर संक्रांति का त्योहार क्यों मनाया जाता है

मकर संक्रांति का त्योहार क्यों मनाया जाता है? / 15 जनवरी को मनाएं मकर संक्रांति !!!पौष मास के शुक्ल पक्ष में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ही मकर संक्रांति कहलाता है। इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। 
शास्त्रों में उत्तारायण की अवधि को देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है। इस दिन स्नान, दान, तप, जप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान आदि का अत्यधिक महत्व है। कहते हैं कि इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है।इस दिन घी व कंबल के दान का भी विशेष महत्व है। इसका दान करने वाला संपूर्ण भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त होता है-माघे मासि महादेव यो दद्याद् घृतकम्बलम्।स भुकत्वा सकलान् भोगान् अन्ते मोक्षं च विन्दति।।मकर संक्रांति के दिन गंगास्नान व गंगातट पर दान की विशेष महिमा है। 


makar sankranti




मकर संक्रांति का त्यौहार क्यों मनाते हैं

भारत के अलग-अलग प्रांतों में मकर संक्रांति का पर्व विभिन्न नामों व तरीकों से मनाया जाता है।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर हुआ परिवर्तन माना जाता है। 
मकर-संक्रांति से दिन बढऩे लगता है और रात की अवधि कम होती जाती है। चूंकि सूर्य ही ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्त्रोत है इसलिए हिंदू धर्म में मकर संक्रांति मनाने का विशेष महत्व है।प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मनाए जाने वाले मकर संक्रांति पर्व को लेकर इस बार ज्योतिषियों में मतभेद हैं। 
ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा जबकि कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को रहेगा। 
अधिकांश ज्योतिषियों का यही कहना है कि मकर संक्राति पर किए जाने वाले स्नान, दान आदि धार्मिक कर्मकाण्ड 15 जनवरी को ही करना श्रेष्ठ रहेगा।



पं. आनन्दशंकर व्यास के अनुसार सूर्य 14 जनवरी को रात 12:25 को मकर राशि में प्रवेश करेगा इसलिए उसका पुण्यकाल 15 जनवरी को माना जाएगा। इस दृष्टि से मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा। 
स्नान व दान-दक्षिणा का महत्व भी इस दिन माना जाएगा। पं. मनीष शर्मा के मतानुसार मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी।



पं. अमर डिब्बेवाला का भी यही मत है कि सूर्य 14 जनवरी को मध्य रात्रि को मकर राशि में प्रवेश करेगा उसके अनुसार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को ही रहेगा तथा स्नान व दान का महत्व भी इसी दिन का रहेगा।
वहीं पं. श्यामनारायण व्यास का कहना है कि सूर्य 14 जनवरी की शाम 6:44 पर मकर राशि में प्रवेश करेगा। चूंकि मकर संक्रांति का पुण्य काल 6 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है इसलिए मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को दिन 12:44 से प्रारंभ होगा। इस दिन स्नान व दान का महत्व भी दोपहर बाद ही माना जाएगा।


मकर सक्रांति आखिर है क्या
मकर सक्रांति उसको कहते हैं जब जनवरी के महीने में सूर्य अपना दिन यानी। 
जनवरी के महीने में यानी मकर सक्रांति के दिन से ही दिन का बढ़ जाना इनका टाइम लंबा हो जाना स्टार्ट यानी शुरू होता है‌। ‌‌
कि सूरज रोशनी का सबसे बड़ा स्रोत है सबसे ज्यादा रोशनी सूरज से ही होती है‌। और इसी दिन से ही सूरज  बड़े दिन में प्रवेश करता है अब दिन बड़ा रहेगा काम ज्यादा करेंगे ‌। वैसे भी ज्यादा कमा पाएंगे‌। और हर काम दिन से ही होता है इसलिए बढ़े हुए दिन का सब को फायदा होता है । बस इसीलिए मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है । 


और यही है मकर सक्रांति
हमने आप को आसान भाषा में समझा दिया है मकर सक्रांति के बारे मै‌‌। हम उम्मीद करते हैं कि आप समझ गए होंगे मकर सक्रांति के बारे में ‌‌। अगर फिर भी कोई सवाल है तो आप हमसे कमेंट में पूछ सकते हैं‌। मैं पूरी कोशिश करूंगा आपके सवाल के जवाब देने की ‌।


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