ट्रिपल तलाक क्या है, talaq kiya hai, निकाह क्या है और हलाला क्या है Nikah kiya hai, Halala kya hai, तलाक के बाद इद्दत, iddat kiya hai, tarik jamil
ट्रिपल तलाक क्या है आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे ट्रिपल तलाक के बारे में ट्रिपल तलाक क्या है और क्यों इसका दुनिया भर में विरोध हो रहा है ।
ट्रिपल तलाक क्या है - What is triple talaq
ट्रिपल तलाक इस्लाम में महिलाओं का एक मौलिक अधिकार है। इस्लाम इस बात की पूरी आजादी देता है अगर आप एक दूसरे के साथ खुश नहीं है तो आप खुशी-खुशी एक दूसरे से जुदा हो सकते हैं । यानी तलाक ले सकते हैं ।
तलाक के बाद इद्दत Iddat kiya hai
तलाक के बाद मुस्लिम महिला अपने मायके आ जाती हैं । और उसे इद्दत का नियम पालन करना होता है । इसमें 3 महीने 10 दिन तक किसी भी पराए मर्द के सामने नहीं आना होता है । जिससे वह गर्भवती हो तो इसका पता किया जा सके । और इसके बच्चे को जायज माना जा सके । बस यही दत्त का एक कारण है जो जरूरी है ।
ट्रिपल तलाक ले सकते हैं या नहीं
ट्रिपल तलाक की इस्लाम ने पूरी आजादी दी है ऊपर भी मैं आपको बता चुका हूं इस्लाम में ट्रिपल तलाक बिल्कुल ले सकते हैं लेकिन आज कल हिंदुस्तान के गवर्नमेंट को ना जाने क्या बात चल रही है जो इस्लाम के शरीयत जो कानून है उन को बदलने की ही वह सोच रहे हैं हर एक फैसला वह इस्लाम के खिलाफ ला रहे हैं ।
निकाह और हलाला क्या है Nikah kiya hai,
निकाह और हलाला यह दो अलग-अलग चीजें हैं। जिनको मैं अलग अलग करके ही आपको समझाऊंगा ।
निकाह क्या है - nikah kiya hai
निकाह क्या है मैं आपको अच्छी तरह से समझाने के लिए आसान भाषा का इस्तेमाल करता हूं । निकाह एक कांटेक्ट है । जब एक दूसरे से निकाह होता है। कांटेक्ट साइन किया जाता है हम एक दूसरे के साथ उम्र साथ रहेंगे हमेशा एक दूसरे के सुख दुख में काम आते रहेंगे एक दूसरे पर हमेशा भरोसा करेंगे और एक दूसरे का हमेशा साथ देंगे ।निकाह के कांटेक्ट में यही सब चीजें होती हैं जिनको अरबिक भाषा में निकाह कहा जाता है
हलाला क्या है - What is halala
हलाला तलाक देने के बाद पति और पत्नी अलग-अलग निकाह किसी दूसरे से करना चाहे तो कर सकते हैं और अपना जीवन यापन कर सकते हैं इसमें कोई अचरज नहीं है और ना ही किसी को इस बात के कोई खिलाफ है। लेकिन अक्सर देखा गया है, कि तलाक के बाद भी कई लोग उसी के साथ निकाह करना चाहते हैं, जिससे वह पहले निकाह कर चुके हैं, इसके लिए कुरान की आयत 232 में बताया गया है इस प्रकार है
"पहले शौहर से तलाक के बाद औरत शादी कर लेती है लेकिन दूसरा शोहर भी उसे तलाक दे देता है या मर जाता है तब औरत के इद्दत अवधि पूरी कर लेने के बाद अगर दोनों (पूर्व पति पत्नी) को परस्पर विश्वास है तो वह फिर एक हो सकते हैं इससे दूसरे पति से तलाक या उसकी मृत्यु सहयोग होना चाहिए
नोट:- इसमें पहले पति से दोबारा निकाह करने के लिए दूसरे व्यक्ति से निकाह करने का प्रावधान ही नहीं किया गया है केवल यह संयोग की परिस्थितियों में ही मान्य किया गया है
कुरान की इस आयत में हलाला के विषय में कुछ भी नहीं कहा गया है हलाला जरूरी है लेकिन आज के मौलवियों ने इस कुरान की आयतों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर दिया और इसके अनुसार तलाक होने के बाद यदि महिला पहले पति से ही दोबारा निकाह करना चाहती है या उसका पति उससे दोबारा निकाह करना चाहता है, तो इस महिला को पहले किसी अन्य व्यक्ति से निकाह करके शारीरिक संबंध बनाने होंगे । जिसके बाद दूसरा शोहर महिला को तलाक दे देगा, जिसके बाद ही महिला पहले पति से निकाह कर सकती है ।
इसी प्रथा को ही हलाला निकाह कहा जाता है । इसमें अलग-अलग एक तेरा साथ मौलवियों में हैं मैं भी इसके खिलाफ हूं कि हलाला हो । हालांकि यह मेरी अपनी राय है जाति ।
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ट्रिपल तलाक क्या है ( हलाला और निकाह ) क्या है के विषय में जानकारी उपलब्ध कराई है, यदि इस जानकारी से संबंध आपके मन में किसी प्रकार का सवाल आ रहा है अथवा इससे संबंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूछ सकते हैं। हम आपके द्वारा की गई प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे हैं
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इस्लाम जो है वह शरीयत है और इस्लामी शरीयत के कानून को ही मानता है
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