✍️ Intro: Risk Taking Capacity in Hindi:- जीवन एक संघर्ष है, और इस संघर्ष में सबसे बड़ी भूमिका निभाती है हमारी risk taking capacity यानी जोखिम उठाने की क्षमता। कई बार हमारे सामने ऐसे मौके आते हैं जहाँ हमें अपने comfort zone से बाहर निकलना पड़ता है। पर सवाल यह है कि क्या हर कोई उस मौके को पकड़ पाता है? जवाब है – नहीं। क्योंकि अधिकांश लोग डर, असुरक्षा और भविष्य की अनिश्चितता के कारण कदम पीछे खींच लेते हैं।
Risk Taking Capacity in Hindi समझना ज़रूरी है क्योंकि यह केवल पैसों या नौकरी से जुड़ी बात नहीं है, बल्कि यह आपके आत्मविश्वास (self confidence), आत्म-सम्मान (self esteem) और जीवन के प्रति आपके नज़रिए को दर्शाती है। कोई भी बड़ा सपना – चाहे वह IPS Officer बनने का हो, सफल व्यवसायी बनने का हो, या किसी passion को profession में बदलने का – तभी पूरा हो सकता है जब आपके अंदर जोखिम उठाने का साहस हो।
मान लीजिए, आप एक प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं। आपका सपना है कि आप UPSC की तैयारी करें और IPS Officer बनें। परंतु आप अपनी मौजूदा नौकरी छोड़ने से डरते हैं क्योंकि खर्चे कैसे चलेंगे? EMI कैसे भरेंगे? अगर तैयारी में सफलता नहीं मिली तो परिवार का क्या होगा? यही डर आपको वही करने पर मजबूर करता है जो आप आज कर रहे हैं, भले ही वह काम आपको संतोष न दे। यही आपकी risk taking capacity को define करता है।
लेकिन क्या हमेशा जोखिम लेना गलत है? बिल्कुल नहीं। समझदारी इसी में है कि आप अपनी क्षमता और परिस्थितियों के अनुसार सही risk लें। क्योंकि बिना risk लिए कोई भी व्यक्ति नई ऊँचाइयाँ नहीं छू सकता। बड़े-बड़े उद्यमी, खिलाड़ी और नेता तभी सफल हुए क्योंकि उन्होंने सही समय पर सही risk उठाया।
इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि risk taking capacity क्या है, यह कम क्यों हो जाती है, इसे कैसे बढ़ाया जा सकता है, और इसमें self confidence और self esteem की क्या भूमिका है। अगर आप भी अपनी ज़िंदगी को नए मुकाम पर ले जाना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए एक guide की तरह काम करेगा।
जोखिम क्या है? (What is Risk?)
Risk या जोखिम शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में सबसे पहले डर और अनिश्चितता की तस्वीर आती है। जोखिम का मतलब है – किसी भी कार्य को करते समय उसके नतीजों का पूरा-पूरा भरोसा न होना। यानी परिणाम अच्छे भी हो सकते हैं और बुरे भी। अगर परिणाम अनुकूल निकले तो जीवन में नई ऊँचाई मिल सकती है, और अगर प्रतिकूल रहे तो नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। यही अनिश्चितता ही जोखिम कहलाती है।
Risk Taking Capacity की सरल परिभाषा
सरल शब्दों में risk taking capacity का मतलब है – आप कितने बड़े और कठिन फैसले ले सकते हैं, जिनका नतीजा आपको आगे बेहतर स्थिति में ले जाए या असफल भी कर दे। यह केवल पैसे या निवेश तक सीमित नहीं है, बल्कि आपके career, relationship, health, business और हर छोटे-बड़े निर्णय से जुड़ा हुआ है।
मान लीजिए, किसी व्यक्ति का सपना है कि वह अपना business शुरू करे। लेकिन आज वह नौकरी कर रहा है और उसकी fixed salary है। अगर वह नौकरी छोड़कर business शुरू करता है, तो यह उसका risk होगा। यह risk इसलिए है क्योंकि business सफल भी हो सकता है और असफल भी। सफल हुआ तो जीवन बदल जाएगा, असफल हुआ तो आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है। इसी स्थिति में उसकी risk taking capacity सामने आती है।
दैनिक जीवन में जोखिम के उदाहरण
हम अक्सर सोचते हैं कि risk केवल बड़े-बड़े फैसलों में होता है, लेकिन सच्चाई यह है कि हम रोज़ाना छोटे-छोटे जोखिम लेते रहते हैं।
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जब कोई छात्र competitive exam की तैयारी करता है, तो वह अपने career पर risk ले रहा होता है।
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जब कोई किसान नए बीज या नई तकनीक अपनाता है, तो वह भी risk उठा रहा होता है।
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जब कोई इंसान अपनी savings को share market में लगाता है, तो वह financial risk लेता है।
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जब कोई व्यक्ति किसी नए शहर में जाकर job खोजता है, तो वह भी risk होता है।
इन सभी परिस्थितियों में risk का मकसद है – better outcome की उम्मीद करना। लेकिन outcome positive होगा या negative, यह तय नहीं होता। यही risk की असली परिभाषा है।
Risk Taking और डर का संबंध
हर इंसान की ज़िंदगी में डर होना स्वाभाविक है। डर ही वह चीज़ है जो हमें सोचने और planning करने पर मजबूर करता है। पर फर्क इस बात से पड़ता है कि हम उस डर के बावजूद आगे बढ़ते हैं या पीछे हट जाते हैं। जो लोग डर को manage करना सीख लेते हैं, वही risk उठाते हैं और सफल होते हैं। जबकि जो लोग डर के कारण कदम पीछे खींच लेते हैं, वे वहीं के वहीं रह जाते हैं।
Risk Capacity और Risk Tolerance में अंतर
अक्सर लोग Risk Capacity (जोखिम उठाने की क्षमता) और Risk Tolerance (जोखिम सहनशीलता) को एक ही मान लेते हैं, लेकिन दोनों अलग-अलग concepts हैं। अगर आप इनका सही अंतर समझ जाएँ तो आपको यह तय करने में आसानी होगी कि जीवन या निवेश में आपको किस हद तक risk लेना चाहिए।
जोखिम सहिष्णुता (Risk Tolerance) क्या है?
Risk Tolerance आपके mindset और personality पर आधारित होती है। यानी आप mentally कितने तैयार हैं किसी नुकसान या असफलता को झेलने के लिए।
👉 उदाहरण: मान लीजिए कि किसी investor ने शेयर मार्केट में पैसा लगाया। कुछ दिन बाद market गिरा और उसके निवेश का value कम हो गया। अब अगर वह व्यक्ति बिना घबराए कहता है – “कोई बात नहीं, market वापस ऊपर जाएगा” – तो यह उसकी risk tolerance है। लेकिन अगर वही व्यक्ति डर के कारण तुरंत पैसा निकाल लेता है, तो यह उसकी risk tolerance कम होने का संकेत है।
Risk Tolerance इस बात को दर्शाती है कि आपके अंदर risk उठाने की इच्छा कितनी है। यह अधिकतर आपके confidence level, past experiences और personality traits पर निर्भर करता है।
जोखिम क्षमता (Risk Capacity) किन कारकों पर निर्भर करती है?
Risk Capacity आपके financial position, income, liabilities, age और goals पर आधारित होती है। यानी आप practically कितना risk उठा सकते हैं।
👉 उदाहरण:
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एक 25 साल का लड़का, जिसकी family पर ज्यादा financial responsibility नहीं है और जो job से stable income earn करता है, उसकी risk capacity ज्यादा होगी। वह आसानी से पैसा invest कर सकता है, career बदल सकता है या नया startup शुरू कर सकता है।
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दूसरी तरफ, एक 45 साल का व्यक्ति जिसके ऊपर घर का loan है, बच्चों की education का खर्च है और household responsibilities हैं – उसकी risk capacity कम होगी। वह उतना बड़ा risk नहीं उठा सकता क्योंकि अगर fail हुआ तो पूरा family impact हो जाएगा।
इसलिए risk capacity पूरी तरह आपकी practical situation पर निर्भर करती है, न कि केवल आपकी willingness पर।
दमदार Example:
मान लीजिए दो दोस्त हैं – राहुल और अजय।
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राहुल 24 साल का है, bachelor है, और उसकी monthly income ₹40,000 है। उसके ऊपर कोई loan नहीं है। वह सोचता है कि एक साल job छोड़कर UPSC की तैयारी करे। यहाँ Rahul की risk capacity काफी strong है, क्योंकि उसके ऊपर ज्यादा liabilities नहीं हैं। साथ ही उसकी risk tolerance भी high है, क्योंकि वह mentally failure accept करने को तैयार है।
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अजय 40 साल का है, family वाला है, घर का loan और बच्चों की fees दोनों चल रही हैं। वह भी IPS officer बनने का सपना देखता है, लेकिन उसकी risk capacity बहुत low है क्योंकि अगर उसने job छोड़ी तो पूरा परिवार financial crisis में आ जाएगा। भले ही उसकी risk tolerance high हो, लेकिन उसकी capacity उसको risk लेने नहीं देती।
यानी सीधी भाषा में – Risk Tolerance = मन की ताकत, Risk Capacity = जेब की ताकत।
Risk Taking Capacity Low क्यों हो जाती है?
हर इंसान की शुरुआत में जोखिम उठाने की क्षमता (risk taking capacity) अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। जब हम जवान होते हैं, हमारे पास responsibilities कम होती हैं और सपने बड़े होते हैं। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, परिस्थितियाँ बदलती हैं और हमारी सोच भी बदल जाती है। कई बार यही बदलाव हमारी risk taking capacity को बहुत कम कर देते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं।
1. Lifestyle और Liabilities का असर
जैसे-जैसे हम पैसे कमाने लगते हैं, हमारी lifestyle बदलती है। अच्छी lifestyle के साथ-साथ हमारी जिम्मेदारियाँ (liabilities) भी बढ़ने लगती हैं –
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Home loan
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Car loan
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बच्चों की education का खर्च
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परिवार की basic जरूरतें
जब liabilities बढ़ती हैं, तो इंसान सोचता है कि अगर उसने कोई risk लिया और उसमें fail हुआ, तो ये सब कैसे संभालेगा? यही डर risk लेने की क्षमता को कम कर देता है।
👉 Example:
मान लीजिए, रवि एक अच्छी MNC कंपनी में job करता है। उसका मन है कि वह अपना startup शुरू करे, लेकिन उसके ऊपर home loan की EMI है और बच्चों की school fees हर महीने देनी होती है। ऐसी स्थिति में रवि का मन तो चाहता है risk लेने का, पर उसकी circumstances उसे रोक देती हैं।
2. Comfort Zone में फंस जाना
समय के साथ लोग अपनी fixed salary या stable business के comfort zone में इतने accustomed हो जाते हैं कि उन्हें risk उठाना “खतरनाक adventure” लगने लगता है। धीरे-धीरे यह comfort zone उनकी growth रोक देता है।
👉 Example:
किसी teacher को teaching से संतोष नहीं है, लेकिन salary fixed है और हर महीने मिलती है। अगर वह किसी और passion को career बनाने का सोचता है, तो उसके मन में डर बैठ जाता है – “क्या मैं इस field में सफल हो पाऊँगा?”। यही सोच उसे comfort zone में कैद कर देती है।
3. Fear of Change (नौकरी या बिजनेस बदलने का डर)
ज़िंदगी में बदलाव हमेशा आसान नहीं होता। लोग डरते हैं कि नया कदम उठाने पर अगर सब बिगड़ गया तो क्या होगा? यह डर risk taking capacity को खत्म कर देता है।
👉 Example:
किसी driver का सपना है कि वह खुद का transport business शुरू करे। लेकिन वह सोचता है – “अगर मैंने loan लेकर गाड़ियाँ खरीदीं और business नहीं चला तो EMI कैसे दूँगा?”। यही डर उसे risk लेने से रोक देता है।
4. Failure का अनुभव
कई बार पहले risk लेने पर इंसान असफल हो जाता है। यह असफलता उसके मन पर गहरी छाप छोड़ देती है और future में वह risk लेने से कतराने लगता है।
👉 Example: कोई व्यक्ति पहले business में पैसा डूबा चुका है। अब उसके पास नया idea है, लेकिन पिछले अनुभव की वजह से उसका confidence इतना गिर चुका है कि वह नया risk लेने से डरता है।
5. Social Pressure और Society की सोच
कई बार हमारे आसपास के लोग हमें risk लेने से रोकते हैं – “अरे नौकरी मत छोड़ो”, “पढ़ाई छोड़कर business मत कर”, “ये काम तुम्हारे बस का नहीं है”। ये बातें हमारे subconscious mind में बैठ जाती हैं और धीरे-धीरे हमारी risk taking capacity को कमजोर कर देती हैं।
दमदार Example
अमित और सुनील बचपन के दोस्त हैं।
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अमित एक सरकारी नौकरी करता है। वह business करना चाहता है लेकिन parents और relatives कहते हैं – “नौकरी पक्की है, risk क्यों लेना?”। अमित उनकी बात मान लेता है और अपनी इच्छा दबा देता है।
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वहीं सुनील private job करता है। वह भी business शुरू करना चाहता है। शुरू में लोग उसे भी मना करते हैं लेकिन वह risk उठाता है। शुरुआती साल मुश्किल रहते हैं, लेकिन बाद में उसका business चल पड़ता है और वह financially independent हो जाता है।
यानी फर्क इस बात से पड़ता है कि आपने risk लेने की हिम्मत की या नहीं।
Risk Management कैसे करें?
Risk Taking Capacity को पूरी तरह खत्म कर देना सही नहीं है। असल में सफलता उन्हीं को मिलती है जो समझदारी से risk लेते हैं और उसे manage करना जानते हैं। बिना management के risk उठाना मूर्खता है, लेकिन सही management के साथ risk उठाना आपको growth, satisfaction और success दिला सकता है।
1. Unwanted Jobs से Distance बनाए
अगर आप किसी ऐसे काम या नौकरी में फँसे हैं जो आपको बिल्कुल पसंद नहीं है, तो उसमें career बनाने का risk मत लीजिए।
👉 Example: मान लीजिए आप sales job में हैं लेकिन आपको लोगों से बात करना ही पसंद नहीं। तो promotion या target के लिए उसमें और समय देने का कोई फायदा नहीं। बेहतर है कि job चलाते रहिए लेकिन अपना ध्यान अपनी पसंद के काम की ओर लगाइए।
2. Free Time का सही इस्तेमाल करें
Risk लेने से पहले preparation जरूरी है। कोशिश कीजिए कि आपकी job या business से आपको थोड़ा free time मिले और उस time का use आप अपने passion या future goals पर करें।
👉 Example: अगर आप IT job में हैं लेकिन आपको cooking पसंद है, तो free time में recipes लिखिए या YouTube पर cooking tips share कीजिए। ये छोटे-छोटे steps आपकी real journey शुरू कर देंगे।
3. Liabilities और Loans को Control करें
Risk लेने से पहले अपनी liabilities कम करें। ऐसा loan मत लीजिए जिसकी EMI भरना आपके लिए मजबूरी बन जाए। EMI का बोझ risk लेने से रोकता है।
👉 Example: अगर आपने घर का loan लिया है तो नया business शुरू करने से पहले सोच-समझकर कदम बढ़ाइए।
4. Real Interest और Passion को Explore करें
अपने interest और passion को पहचानिए। यह पता करना जरूरी है कि आपको वास्तव में क्या पसंद है। Risk लेना तब सही होता है जब वह आपके दिल के काम से जुड़ा हो। Passion-based risk आपको लंबे समय तक motivate रखता है।
5. Step-by-Step Strategy अपनाइए
Risk लेने का मतलब यह नहीं कि सबकुछ छोड़कर नया शुरू कर दिया जाए। धीरे-धीरे steps लीजिए। छोटे-छोटे steps भी आपको मंजिल के करीब ले जाते हैं।
👉 Example: अगर आप travel business शुरू करना चाहते हैं तो पहले एक travel blog शुरू करें। जब audience बढ़े और कुछ income आने लगे तब business की ओर कदम बढ़ाइए।
दमदार Example
संदीप माहेश्वरी (Motivational Speaker) शुरू में फोटोग्राफी business में थे। कई बार असफल हुए लेकिन उन्होंने risk लेने से डरना नहीं छोड़ा। उन्होंने step-by-step strategy अपनाई, free seminars शुरू किए और आज लाखों लोगों के लिए inspiration हैं। उनकी journey बताती है कि risk लेना ज़रूरी है लेकिन smart तरीके से।
Trusted Source
Harvard Business Review (HBR) के एक article के अनुसार, “Risk management is not about eliminating risk, but about making informed decisions that align with your goals.”
👉 Source: Harvard Business Review – Risk Management यानी, risk लेना ज़रूरी है लेकिन उसे manage करना और smart strategy अपनाना उससे भी ज्यादा ज़रूरी है।
Right Choice कैसे करें?
जीवन में right choice लेना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना risk उठाना। कई लोग risk तो लेते हैं लेकिन सही दिशा में नहीं, और बाद में पछताते हैं। सही चुनाव (right choice) का मतलब है – ऐसा फैसला लेना जो आपके interest, passion और long-term goals के साथ जुड़ा हुआ हो। अगर आपने गलत दिशा में कदम बढ़ाया तो risk आपके लिए मुसीबत बन सकता है, लेकिन अगर सही दिशा में कदम उठाया तो वही risk आपको सफलता तक पहुँचा देगा।
1. अपने Interest को पहचानिए
Right choice करने का पहला कदम है – यह जानना कि आपको वास्तव में क्या पसंद है। कई बार लोग society या family pressure में गलत career चुन लेते हैं।
👉 Example: अगर किसी को cooking पसंद है लेकिन वह मजबूरी में engineering कर रहा है, तो वह वहाँ संतोष नहीं पा सकेगा। लेकिन अगर वही व्यक्ति cooking में अपना career बनाता है तो उसे काम करने में मज़ा आएगा और वह आगे बढ़ेगा।
2. Alternate Path बनाइए
आज के digital जमाने में आपके पास हर काम को practically test करने का मौका है।
👉 Example: अगर आप chef बनना चाहते हैं तो तुरंत नौकरी छोड़ने की बजाय एक food blog या YouTube channel शुरू कीजिए। इस तरह आप धीरे-धीरे देख पाएँगे कि क्या यह field आपके लिए सही है।
3. Small Steps से शुरुआत करें
Right choice का मतलब है – अपने सपनों की ओर छोटे लेकिन पक्के कदम उठाना। बिना तैयारी सबकुछ छोड़ देना समझदारी नहीं है।
👉 Example: अगर आप travel business शुरू करना चाहते हैं तो पहले travel-related blog या Instagram page से शुरुआत करें। audience build होने के बाद business setup कीजिए।
4. Passion और Financial Stability का Balance
कई लोग कहते हैं “बस passion follow करो,” लेकिन सही तरीका है passion और financial stability को balance करना। Passion आपके confidence और self-esteem को बढ़ाएगा, जबकि financial stability risk लेने की capacity को मजबूत करेगी।
दमदार Example
वरुण अलघ और उनकी wife ने Mamaearth कंपनी शुरू करने से पहले काफी research की। वे दोनों corporate jobs में थे लेकिन उन्होंने सीधे job छोड़कर risk नहीं लिया। पहले उन्होंने market research की, छोटे level से शुरुआत की और जब stability मिली, तब business को expand किया। आज Mamaearth भारत की एक बड़ी brand है। यह example दिखाता है कि right choice + सही समय = success।
Trusted Source
World Economic Forum (WEF) की एक research के अनुसार, “Making informed career and business choices requires aligning personal passion with market opportunities. Those who balance both are more likely to succeed in the long run.”
👉 Source: World Economic Forum – Career Choices यानी, right choice लेने का मतलब है अपनी दिल की आवाज़ सुनना, छोटे-छोटे कदम उठाना और passion व stability दोनों को साथ लेकर चलना। यही strategy आपके risk को opportunity में बदल देगी।
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Self-Esteem और Risk Taking Capacity का Connection
जीवन में risk taking capacity और self-esteem (आत्म-सम्मान) का आपस में गहरा संबंध है। Self-esteem का मतलब है – आप खुद को कितना मूल्यवान, सक्षम और योग्य मानते हैं। अगर आपकी self-esteem उच्च है तो आप ज्यादा confident होते हैं और risk लेने से नहीं डरते। लेकिन अगर self-esteem low है तो छोटी-सी challenge भी आपको बड़ी मुश्किल लगने लगती है।
1. Self-Esteem बढ़ने से Risk Taking आसान क्यों हो जाता है?
जब किसी व्यक्ति के अंदर आत्म-सम्मान (self-esteem) होता है, तो वह अपने फैसलों पर भरोसा करता है। उसे लगता है कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल हों, वह संभाल लेगा। यही विश्वास उसे risk उठाने की हिम्मत देता है।
👉 Example: मान लीजिए अंकित को singing पसंद है। उसकी self-esteem high है और उसे अपनी आवाज़ पर भरोसा है। इसलिए वह छोटे-छोटे मंचों पर गाना शुरू करता है, YouTube channel बनाता है और risk लेता है कि लोग उसकी कला को पसंद करेंगे या नहीं। यह risk उसके confidence और self-esteem की वजह से आसान हो जाता है।
2. Low Self-Esteem का Risk Taking पर असर
अगर आपकी self-esteem low है तो risk उठाना लगभग नामुमकिन हो जाता है। आप हमेशा negative सोचने लगते हैं –
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“अगर मैं fail हो गया तो क्या होगा?”
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“लोग क्या कहेंगे?”
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“मेरे अंदर वो talent नहीं है।”
👉 Example: कोई व्यक्ति business शुरू करना चाहता है लेकिन उसकी self-esteem low है। वह अपने ही ideas पर doubt करने लगता है और कहता है – “शायद मैं सफल नहीं हो पाऊँगा।” ऐसे में risk लेने से पहले ही उसका confidence टूट जाता है।
3. Self-Esteem कैसे बढ़ती है?
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Small Wins पर Focus करें: छोटे-छोटे goals achieve करने से self-esteem बढ़ती है।
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Positive Surroundings: जिन लोगों से आप घिरे रहते हैं, उनका असर आपके confidence पर पड़ता है।
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Skill Development: नई skills सीखने से self-esteem naturally बढ़ती है।
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Passion Projects: अपने दिल का काम करने से self-esteem मजबूत होती है, क्योंकि उसमें success मिलने की संभावना अधिक होती है।
दमदार Example
एलन मस्क (Tesla और SpaceX के founder) कई बार असफल हुए। SpaceX के तीन launches लगातार fail हुए। लेकिन उनकी self-esteem इतनी strong थी कि उन्होंने खुद को कमजोर नहीं होने दिया। उन्होंने risk लेना जारी रखा और चौथा launch सफल हुआ। आज वे दुनिया के सबसे सफल entrepreneurs में गिने जाते हैं। उनकी journey यह साबित करती है कि high self-esteem = high risk taking capacity।
Trusted Source
American Psychological Association (APA) की एक research बताती है कि “Individuals with higher self-esteem are more resilient and more likely to take calculated risks that lead to long-term success.”
👉 Source: American Psychological Association – Self-Esteem Research
यानी, self-esteem आपके भीतर risk लेने का साहस पैदा करती है। अगर आप अपनी self-esteem मजबूत कर लेते हैं तो आपकी risk taking capacity अपने आप बढ़ जाती है और आप किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।
Self-Confidence का महत्व (Importance of Self Confidence)
जीवन में सफलता पाने के लिए self-confidence यानी आत्मविश्वास सबसे ज़रूरी गुणों में से एक है। आत्मविश्वास ही वह ताकत है जो आपको आपके डर, असफलताओं और चुनौतियों के बावजूद आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। अगर risk taking capacity वह engine है जो आपको नए रास्तों पर ले जाता है, तो self-confidence वह ईंधन है जो उस engine को चलाता है।
1. Self-Confidence क्यों जरूरी है?
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Decision Making: आत्मविश्वास आपको सही निर्णय लेने में मदद करता है। जब आप confident होते हैं तो आप अपने फैसलों पर डटे रहते हैं और बार-बार doubt नहीं करते।
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Risk Taking में मदद: Self-confidence आपको risk लेने की हिम्मत देता है। यह विश्वास दिलाता है कि अगर असफल भी हुए तो आप दोबारा उठ खड़े होंगे।
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Positive Attitude: Confident व्यक्ति हर स्थिति में समाधान ढूँढ लेता है, जबकि low confidence वाला व्यक्ति समस्याओं में ही उलझा रहता है।
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Leadership Quality: हर सफल leader में एक common चीज़ होती है – उसका आत्मविश्वास।
2. Successful लोगों में Common Quality
दुनिया में कोई भी बड़ा achiever देख लीजिए – चाहे वो महात्मा गांधी, सचिन तेंदुलकर, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हों या आज के समय के बड़े entrepreneur – हर किसी की सफलता के पीछे उनके self-confidence की बड़ी भूमिका रही है।
👉 Example: सचिन तेंदुलकर जब पहली बार मैदान पर उतरे तो उनकी उम्र बहुत कम थी। कई लोग doubt करते थे कि इतना छोटा बच्चा कैसे international cricket खेलेगा। लेकिन सचिन के आत्मविश्वास ने ही उन्हें आगे बढ़ाया और वे “God of Cricket” कहलाए।
3. Low Self-Confidence के खतरे
अगर आत्मविश्वास low हो तो –
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आप risk लेने से डरते हैं।
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बार-बार negative सोचते हैं।
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Failures से टूट जाते हैं।
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Success आपके पास आने के बावजूद आप उसे पकड़ नहीं पाते।
👉 Example: कोई व्यक्ति blogging शुरू करता है। शुरू में traffic नहीं आता और उसका confidence गिर जाता है। अगर वह हार मान ले तो वही उसकी असफलता है। लेकिन अगर वह self-confidence के साथ लगातार मेहनत करे तो traffic आना शुरू हो जाएगा और वही उसकी जीत होगी।
4. Self-Confidence कैसे बढ़ाएँ?
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Preparation पर ध्यान दें: अच्छी तैयारी आत्मविश्वास बढ़ाती है।
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Small Goals Set करें: छोटे-छोटे achievements से confidence naturally बढ़ता है।
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Positive Thinking अपनाएँ: खुद पर विश्वास करें और negative लोगों से दूरी बनाएँ।
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Failures से सीखें: असफलता को experience मानें, हार मानना नहीं।
दमदार Example
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जब school में थे तो उनके teachers ने कहा कि वह पढ़ाई में कमजोर हैं। लेकिन उन्होंने अपने self-confidence की बदौलत scientist बनने का सपना पूरा किया और बाद में भारत के राष्ट्रपति भी बने। अगर वे अपने teachers की बात मानकर confidence खो देते तो शायद यह सब कभी संभव नहीं होता।
Trusted Source
National Institutes of Health (NIH) की एक study में पाया गया है कि “Higher self-confidence not only enhances personal growth but also increases the likelihood of taking constructive risks that lead to success.”
👉 Source: National Institutes of Health – Self Confidence Research
Nishkarsh (Conclusion)
जीवन में सफलता केवल मेहनत और समय पर निर्भर नहीं करती, बल्कि इस पर भी निर्भर करती है कि आप कितनी risk taking capacity, self-confidence और self-esteem रखते हैं। अगर risk उठाने की हिम्मत नहीं है, तो आप हमेशा comfort zone में ही कैद रह जाएँगे। वहीं अगर self-confidence और self-esteem strong हैं, तो आप हर risk को एक नए अवसर (opportunity) में बदल सकते हैं।
1. Risk Taking Capacity से Growth
जोखिम उठाना मतलब लापरवाही करना नहीं है, बल्कि समझदारी से calculated steps लेना है। जीवन में हर बड़ा बदलाव – चाहे वो career हो, business हो या relationship – risk के बिना संभव नहीं है।
👉 याद रखिए: High risk हमेशा high reward नहीं देता, लेकिन बिना risk के reward कभी नहीं मिलता।
2. Self-Confidence और Self-Esteem का Role
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Self-Confidence आपको यह विश्वास दिलाता है कि चाहे आप कितनी भी बार गिरें, आप दोबारा उठेंगे।
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Self-Esteem आपको यह एहसास दिलाता है कि आप इस सफलता के योग्य हैं।
जब ये दोनों qualities risk taking capacity से जुड़ जाती हैं, तब आप अपने जीवन का असली control खुद ले लेते हैं।
3. Failures से डरें नहीं
Failures को हार मत मानिए। हर failure एक सीख है। दुनिया के हर सफल व्यक्ति के पीछे कई असफलताएँ छिपी हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि उन्होंने हार मानने के बजाय हर बार नए confidence के साथ risk उठाया।
👉 Example: थॉमस एडिसन ने हजारों बार bulb बनाने की कोशिश की और fail हुए। लेकिन उन्होंने कहा – “I have not failed. I’ve just found 10,000 ways that won’t work.” यही self-confidence और risk taking capacity थी जिसने उन्हें महान बनाया।
4. Practical Lesson for Readers
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Risk लेने से पहले अपनी financial और emotional स्थिति का analysis कीजिए।
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छोटे-छोटे steps में बड़े goals की तरफ बढ़िए।
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Failures को अनुभव समझकर आगे बढ़िए।
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Self-confidence और self-esteem को daily habits, positive surroundings और skill development से मजबूत कीजिए।
अंतिम संदेश:
जीवन एक boxing match की तरह है। हारता वह नहीं जो गिर जाता है, बल्कि हारता वह है जो दोबारा उठने से इनकार कर देता है। इसलिए चाहे कितनी भी बार गिरें, risk लेने की हिम्मत रखिए, self-confidence बनाए रखिए और अपनी self-esteem को कभी कम मत होने दीजिए। यही तीन qualities आपको success तक पहुँचाएँगी।
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