imam hasan basri, dajjal ke bare me~ dajjal kon hai इमाम हसन बसरी का बयान, दज्जाल के बारे में इस्लामिक बयान, हुजूर सल्लल्लाहो वसल्लम की दुआ, islam
imam hasan basri परिचय
Khawaja Imaam Hasan Basri ka Byan | Dajjal Ke bare me | DAJJAL kon he | kaha hai | kese hai | kiyo hai | islami kahani | new 2020 | UMER faruk RA ne rakha Imaam Hasan Basri Naam
अजीज साथियों ख्वाजा इमाम हसन बसरी रहमतुल्लाह आले एक बहुत ही अल्लाह वाले बुजुर्ग थे | तकुए कार और परहेज़गार थे | और आप बा अमल आलिम भी थे | और इबादत करने वाले अल्लाह से डरने वाले भी थे | सुन्नत नबवी पर सख्ती से अमल करने और सदैव अल्लाह से भय में डूबे रहते थे |
आपकी मां उम्मुल मोमिनीन हजरत उम्मे सलमा रजि अल्लाह हू आल्हा की बांदी थी | और जब बचपन में आपकी मां किसी काम में व्यस्त होती | और आप रोने लगते तो उम्मुल मोमिनीन आपको गोद में उठाकर अपनी छाती मुबारक आपके मुंह में दे देती | और इस तरह हमदर्दी की भावना से आपकी छाती से दूध भी निकलने लगता | जरा सोचिए कि जिसने उम्मुल मोमिनीन का दूध पिया हो उसके उच्च दर्जे का कौन इंकारी हो सकता है |imam hasan basri बचपन में सौभाग्य
बचपन में आपने एक दिन हुजूर अकरम सल्लल्लाहो वसल्लम के प्याले का पानी पी लिया | और जब हुजूर ने पूछा कि मेरे प्याले का पानी किसने किया है | तो हज़रत उम्मे सलमा ने कहा कि हसन ने | यह सुनकर हुजूर सल्लल्लाहो वसल्लम ने फरमाया कि उसने जितना पानी मेरे प्याले में से पिया उतना ही मेरा इल्म( ज्ञान) उसमें पहुंच गया |
हुजूर सल्लल्लाहो वसल्लम की दुआ
एक दिन हुजूर अकरम सल्लल्लाहो वसल्लम हज़रत उम्मे सलमा के मकान पर आए तो उन्होंने हसन बसरी को आपकी गोद में डाल दिया | उस समय हुजूर सल्लल्लाहो सल्लम ने आपके लिए भलाई की दुआ की और इस दुआ की बरकत से आपको बहुत अधिक दर्जा प्राप्त हुए |
नाम रखने का कारण
जन्म के बाद जब आपको हजरत उमर रजि अल्लाहु अन्हु की सेवा में पेश किया गया तो आप ने फरमाया कि इसका नाम हसन रखो क्योंकि बहुत बड़ा ही सुंदर है |
हजरत उम्मे सलमा ने आपका लालन पालन किया और सदैव यही दुआ किया करती थी कि अल्लाह हसन को लोगों का मार्गदर्शन बना दे| |
अतः आप बड़े उच्च कोटि के बुजुर्गों मै से हुए और 120 साहब से आप ने लाभ उठाया इसमें 70वें सहाबा भी थे |जो बदर की जंग में शहीद हो गए थे
आपको हसन बिन अली से बैत होने का गौरव प्राप्त था | और उन्हीं से शिक्षा भी ग्रहण की लेकिन "तोहफा" के लेखक लिखते हैं | कि आप हजरत अली से बैत है | और उन्हीं के खुलफ में से हुए प्रांभिक दौर में आप हीरे जवाहरात की तिजारत करते थे | जिसके कारण आपका नाम हसन लुलू भी पड़ गया था |
एक बार आप तिजारत की नियत से रूम गए | और वहां जब वहां के वजीर के पास मुलाकात के उद्देश्य पहुंचे तो वह कहीं जाने की तैयारी कर रहा था | उसने पूछा कि क्या आप भी मेरे साथ चलेंगे फरमाया कि हां |
दोनों घोड़े पर सवार होकर जंगल में पहुंचे थे |
वहां आपने देखा कि रूम के कीमती कपड़ों का बड़ा अच्छा खेमा लगा है | और उसके चारों ओर स्वतंत्र सैनिक घूम फिर कर वापस जा रहे हैं | उसके बाद उलमा व प्रतिष्ठित लोग वहां पहुंचे | और खेमे के निकट कुछ कहकर चले गए | इसके बाद हकीम वह अमीर अमीर मुन्सी आदि पहुंचे और कुछ कहकर चल दिए |
फिर अत्यंत सुंदर बांदिया हीरे जवाहरात के थाल सर पर रखे हुए आई और वह भी इसी तरह कुछ कह कर चली गई |
फिर बादशाह और वजीर भी कुछ कहकर वापस हो गए | आपने चकित होकर जब वजीर से इस बारे में मालूम किया तो उसने बताया |
कि बादशाह का एक सुंदर जवान बेटा मर गया था | और वही इस खेमे में दफन है | अतः आज की तरह हर साल यहां सारे लोग आते हैं | सबसे पहले सेना आकर कहती है कि यदि जंग द्वारा तेरी मौत टल सकती तो हम जंग करके तुझे बचा लेते मगर अल्लाह से जंग करना संभव नहीं |
इसके बाद हुक्मा आकर कहते कि यदि बुद्धि और ज्ञान से मौत को रोका जा सकता तो निश्चित ही हम रोक देते |
फिर उलमा व मशाईख आकर कहते हैं | यदि दुआओं से मौत को दूर दूर किया जा सकता तो हम टाल देत |
फिर सुंदर बांदियां आकर कहती अति सुंदर एवं आकर्षक से मौत को टाला जा सकता तो हम टाल देती |
फिर स्वयं बादशाह वजीर के साथ आकर कहता है | कि मेरे बेटे हमने हकीमों वैधों द्वारा बड़ी कोशिश की परंतु अल्लाह के आदेश को कौन टाल सकता ह |
और जब अगले साल तक तुझ पर हमारा सलाम हो यह कहकर वापस हो जाते हैं |
हजरत हसन ने यह घटना सुनकर कसम खाई कि जीवन भर कभी नहीं हंस लूंगा | और संसार से विमुख होकर आखिरत की चिंता के लिए अकांत में रहने लगे |
मशहूर है कि 70 साल तक आप सदैव वूजू से रहे और आपने समकालीन बुजुर्गों में प्रमुख रहे |
किसी व्यक्ति ने एक बुजुर्ग से पूछा कि हसन बसरी हमसे अधिक श्रेष्ठ क्यों है | उन्होंने जवाब दिया कि हसन के ईल्म कि हर आदमी को जरूरत है | और उसे अल्लाह के अलावा किसी की जरूरत नहीं इसी के लिए वह हम सब के सरदार है |
dajjal ke bare me~ dajjal kon hai ~ दज्जाल की पहचान
दज्जाल एक आंख से काना है | उसके माथे पर काफीर लिखा हुआ है | दज्जाल जब इस दुनिया में आएगा तो | साथ या 40 दिन में पूरी दुनिया मैं घूम जाएगा | और दुनिया में आकर लोगों से कहेगा कि मैं ही खुदा हूं | इसलिए मुझे ही खुदा काहो लोग उनसे पूछेंगे भी कि तू कैसे खुदा ह |ै वह कहेगा फला बिन फला का तू बैठा ह |ै पता है मैं उनको जिंदा कर दूं तो तू मुझे खुदा मान लेगा | वह कहेगा हां तो वह जैसे ही हुकुम करेगा शैतान उन सब की शक्ल लेकर हाजिर हो जाएंगे | असल में वह जिंदा नहीं होंगे | हकीकत ही है के दज्जाल के साथ सारे शैतान होंगे | जो उसके रिश्तेदार या मां-बाप की शक्ल लेकर उसके सामने हाजिर हो जाएंगे |
अगर दज्जाल इतना भयंकर है तो 40 ही दिन कैसे जिंदा रहेगा?
दज्जाल को अल्लाह ने सिर्फ इतने ही दिन की मोहलत दी है | जब दज्जाल आएगा और जब वह इतनी तबाही दुनिया में मजा आएगा | तब ही अल्लाह ताला ईसा अलैहिस्सलाम अस्सलाम | को धरती पर वापस उतारेंगे| जो आज अभी भी जिंदा है | चौथे आसमान पर |
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