bharat ka itihaas ~ आर्यों के भारत आगमन - एक प्राचीन इतिहास

bharat ka itihaas


प्रस्तावना

आर्यों के भारत आगमन एक रहस्यमय और महत्वपूर्ण विषय है जिस पर विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। यह विषय bharat ka itihaas और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से रोचक है और इससे संबंधित कई प्रश्न भी हैं। इस लेख में, हम आर्यों के भारत आगमन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे जिससे पाठक इस महत्वपूर्ण विषय को समझ सकेंगे।

भारतीय इतिहास में आर्यों का स्थान

bharat ka itihaas आर्यों के परिचय

जिनके रूप रंग, आकृति तथा शरीर का गठन विशेष प्रकार का होता है। यह लोग लम्बे डील-डाल के, हृदय पुष्ट, गोरे रंग के, लम्बी नाक वाले और वीर तथा साहसी होते थे
 

आर्य भाषा और संस्कृति का परिचय

आर्य संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है श्रेष्ट अथवा अच्छे कुल में उत्पन्न। परन्तु व्यापक अर्थ में आर्य एक जाति का नाम है 

आर्यों के भारत आगमन के समय का अध्ययन

यह bharat ka itihaas भारतीय इतिहास (ancient history of india) की बहुत ही लंबी और एक अनसुलझी गुत्थी है जिसको समझाना इतना आसान नहीं है।

आर्यों के भारत आगमन के कारण



अपेस्ता में यह भी लिखा है कि उनके देवता अहुरमन्द ने जिस देश का निर्माण किया था, उसमें दस महीने सर्दी और केवल दो महीने गर्मी पड़ती थी। इससे यह पता लगता है कि वह प्रदेश कहीं उत्तरी ध्रुव प्रदेश के निकट ही रहा होगा। अवेस्ता में यह भी लिखा है कि उस प्रदेश में एक बड़ा तुषारापात हुआ, जिससे उन लोगों को अपनी जन्मभूमि

त्याग देनी पड़ी। तिलक जी का कहना है कि जिस समय आर्य लोग उत्तरी ध्रुव प्रदेश में रहते थे, उन दिनों वहां पर बर्फ ना थी और वहां पर सुहावना वसन्त रहता था। कालांतर में वहां पर बड़े जोरों की बर्फ गिरी और संभवतः

 

भूगोलिक कारण

श्री अविनाश चन्द्र दास के विचार में सप्त सिंधु ही आय का आदि देश था कुछ अन्य विद्वानों के विचार में काश्मीर तथा गंगा का मैदान आर्यों का आदि देश था। भारतीय सिद्धान्त के समर्थकों का कहना है कि आर्य ग्रन्थों में आयों के कहीं बाहर से आने की चर्चा नहीं है ये bharat ka itihaas में एक अनसुलझी कहानी है.

आर्यों के भारत आगमन के प्रभाव

वैसे तो आर्यों के भारत आगमन में ही विवाद है लेकिन जब भी यह भारत में आए। इन्होंने धीरे-धीरे करके पहले उत्तर भारत को साउथ भारत को और लास्ट में जाकर दक्षिण भारत में अपनी पहचान बनाई। या यह कह के अपनी हुकूमत बनाई थी। इससे प्रभाव यह पड़ा कॉल और डार्विद की हुकूमत और पहचान ख़तम हो गई।

 

आर्यों के भारत आगमन के संबंध में विवाद

आर्यों के भारत आगमन पर जितने भी बड़े इतिहासकार हुए हैं। किसी का एकमत नहीं है। सब ने अपनी अपनी राय अपने तथ्यों के तौर पर लिखी है। किसी का कहना है आरए भारत के ही लोग थे। आर्य को कुछ ने कहा के मध्य एशिया से आए। कुछ अफ़गानिस्तान वगैरह से आये। तो इस वजह से किसी का भी इसमें इत्तेफाक नहीं है। इसी वजह है कि आर्यों के भारत आगमन पर आज तक विवाद बना हुआ है।

bharat ka itihaas में आर्य आगमन का समय

bharat ka itihaas में आर्यों का भारत में आगमन का समय परफेक्ट तो किसी को भी नहीं मालूम है। लेकिन इतिहासकारों ने इस बात का पता लगाया है कि कई सौ हजारों साल पहले यह भारत में आए थे।

आर्यों के भारत आगमन का इतिहास

bharat ka itihaas में आर्यों के भारत आगमन का इतिहास के कई पहलु हैं जिनको हम  जानने  कोसिस करेंगे।  इसलिए आर्यों के भारत आगमन का इतिहास के बारे कुछ और जानेंगे। 

आर्यों का सम्राट संभवन

प्राचीन आयों का कोई विशाल संगठित राज्य न था, वरन् वे छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त थे, जिनमें प्रायः संघर्ष हो जाया करता था। फलतः आयों को न केवल अनायों से युद्ध करना पड़ा, वरन् उनमें आपस में भी युद्ध हो जाया करता था। ऋग्वेद में इस प्रकार के एक युद्ध का वर्णन है,जैसे mewat के itihaas का मिलता है 

एक प्राचीन इतिहास


वेदों में आर्यों का उल्लेख

प्राचीन आर्यों ने अपने ग्रन्थों में इसी सप्त सिन्धु का गुणगान किया है। इसी जगह उन्होंने वेदों की रचना की थी और यहीं पर उनकी सभ्यता तथा संस्कृति का सृजन हुआ था। यहीं से भारतीय आर्य शेष भारत में फैले थे. वेदों की ये गुथ्थी bharat ka itihaas की कुछ अलग ही कहानी बयान करती है .

आर्यों के भारत आगमन की संभावना

आर्यों के भारत आगमन का परिणाम

भारतीय संस्कृति में परिवर्तन

भाषा का परिवर्तन

धार्मिक असर

यह बात तो मालूम पड़ती है कि आर्य भी सनातन धर्म से ही ताल्लुक रखते थे क्योंकि इतिहास में कई ऐसे देवताओं के नाम मिले हैं जो श्री वेद और यजुर्वेद में है। अपेस्ता में यह भी लिखा है कि उनके देवता अहुरमन्द थे।

आर्यों के भारत आगमन के विचार

यह बात तो सही है आर्य पहले से ही खेती आर्किटेक्ट बहादुर लड़ाकू हर चीज में वह आगे ही थे वह उनका कोई भी मूल निवास स्थान हो उसको छोड़ने के ज्यादा कारण तो नजर नहीं आते एक या दो ही नजर आते हैं। या तो उनकी जब जनसंख्या बढ़ी तो उन्होंने अपने जानवरों के चारा के लिए जमीन के लिए रहन सहन करने के लिए ही अपने मूल निवास स्थान से अपनी यात्रा शुरू करके वह भारत आए थे। या फिर उस जगह पर कुछ ऐसा बड़ा हादसा हुआ जिसकी वजह से मजबूरन उन्होंने अपने मूल स्थान को छोड़ना पड़ा।

 

आर्यों के भारत आगमन के अनुसार विद्वानों के म त

लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के विचार में उत्तर प्रदेश आर्यों का आदि देश था। अपने मत के समर्थन में तिलक जी ने वेदों तथा अवेस्ता का सहारा लिया है। ऋग्वेद में छः महीने की रात तथा छः महीने के दिन का वर्णन है। वेदों में उपा की स्तुति की गई, जो बड़ी लम्बी होती थी। ये सब बातें केवल उत्तरी ध्रुव प्रदेश में पायी जाती है। अपेस्ता में यह भी लिखा है कि उनके देवता अहुरमन्द ने जिस देश का निर्माण किया था, उसमें दस महीने सर्दी और केवल दो महीने गर्मी पड़ती थी। इससे यह पता लगता है कि वह प्रदेश कहीं उत्तरी ध्रुव प्रदेश के निकट ही रहा होगा। 


सिर्अग्वेवेद में यह भी लिखा है कि उस प्रदेश में एक बड़ा तुषारापात हुआ, जिससे उन लोगों को अपनी जन्मभूमि त्याग देनी पड़ी। तिलक जी का कहना है कि जिस समय आर्य लोग उत्तरी ध्रुव प्रदेश में रहते थे, उन दिनों वहां पर बर्फ ना थी और वहां पर सुहावना वसन्त रहता था। कालांतर में वहां पर बड़े जोरों की बर्फ गिरी और संभवतः इसी का उल्लेख अवेस्ता में किया गया। 


इस तुषारापात के कारण आर्यों ने अपनी जन्मभूमि को त्याग दिया और उनकी एक शाखा ईरान को और दूसरी भारतवर्ष को चली गई। यहां से चले जाने पर भी वे लोग अपनी मातृभूमि का विस्मरण न कर सके और इसी से उन्होंने इसका गुणगान अपने धर्मग्रन्थों में किया है। bharat ka itihaas मेंतिलक जी के इस मत में बहुत कम समर्थक हैं। 


आर्यों के भारत आगमन के सम्बंध में विवाद

ये बात तो साबित है आर्यों कौल और द्रविड़ से सभ्यता से अलग हैं. bharat ka itihaas के सिद्धांत-कुछ विद्वानों के विचार में भारत आयों का आदि देश था और वे कहीं बाहर से नहीं आये थे। जैसा कि डॉ० राधाकुमुद मुखर्जी ने लिखा है, “अब

आर्यों के आक्रमण और भारत के मूल निवासियों के साथ उनके संघर्ष की प्राक्कल्पना को धीरे-धीरे त्याग दिया जा रहा है।" "The hypothesis of an Aryan invasion and their clash with the aborigines of India is now gradually being abondoned." कोल और द्रविड़ सभ्यता कोल कौन थे. 

-Dr. R.K. Mukherji

निष्कर्ष

आर्यों के भारत में आगमन एक रहस्यमय और महत्वपूर्ण घटना थी जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का कारण बनी। सिन्धु घाटी की सभ्यता किया है. इस घटना के पीछे भूगोलिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कई कारण थे जो भारतीय समाज और संस्कृति को अगले स्तर पर ले जाने में सहायक साबित हुए। आर्यों के आगमन के समय की गहराई में छिपे विवादों और विचारधारा के प्रश्नों के चलते इस विषय पर विभिन्न विद्वानों के बीच चर्चा होती रही है।


अधिक जानकारी के लिए, इ स प्रशांत पर अक्सर पूछे जाने वाले पांच सवाल निम्नलिखित हैं:

Q 1. किया  आर्यों के भारत में आगमन के समय के बारे में नए खोजों ने नई जानकारी प्रदान की है?

A. अभी तक तो नहीं। 

Q 2.  आर्यों  के भारत आगमन के संबंध में अलग-अलग विचारधाराएं कैसे हैं?

A. इसके पीछे की असली वजह हैं इतिहासकारों की अलग-अलग मत.

Q 3. वेद, ब्राह्मण, उपनिषद और पुराण में आर्यों के भारत आगमन के संबंध में कौन-कौन से स्रोत हैं?

A. वैद में लिखे आर्यों सब्द या आर्ये से. 

Q 5.आर्यों के भारत आगमन ने भारतीय समाज और संस्कृति पर कैसा प्रभाव डाला?

Q 6. आर्यों के भारत में आगमन के समय के विवादों को समझने के लिए विभिन्न साक्ष्य प्रमाणों का उपयोग कैसे किया जा सकता है?


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