सिन्धु घाटी की सभ्यता history of india in hindi: सिन्धु घाटी सभ्यता का तात्पर्य- आज से लगभग 70 वर्ष पूर्व पाकिस्तान के परिव पंजाब प्रांत के माण्टगोमरी जिले में स्थित
हड़प्पा के निवासियों को शायद इस बात का किंचित मात्र भी आभास नहीं था कि वे अपने आस-पास की जमीन में दबी जिन ईटों का प्रयोग इतने धड़ल्ले से अपने मकानों में कर रहे हैं, वह कोई साधारण इट नहीं, बल्कि लगभग 5000 वर्ष पुरानी और पूरी तरह विकसित एक सभ्यता का अवशेष है।
इसका आभास उन्हें तद हुआ जब 1856 ई० में ब्रिटिश भारत की हुकूमत ने करांची से लाहौर तक रेलवे लाइन बिठवाने हेतु ईंटों की आपूर्ति के लिये इन खण्डरों की खुदाई प्रारम्भ करवायी, खुदाई के दौरान ही "history of india in hindi" ancient india इस सभ्यता के प्रथम अवशेष प्राप्त हुये, जिसे 'हड़प्पा सभ्यता' का नाम दिया गया।
कुछ विद्वानों ने इसे हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की सभ्यता के नाम से पुकारा है। हड़प्पा पश्चिमी पंजाब के मांटगोमरी जिले में और मोहनजोदड़ो सिंधु के लरकाना जिले में स्थित है। 1922 ई० में श्री राखालदास बनर्जी की अध्यक्षता में इन दोनों स्थानों में खुदाई हुई। आगे इसी स्थान पर जान मार्शल के नेतृत्व में खुदाइयों में जो वस्तुएं मिली हैं,
history of india in hindi सिन्धु घाटी
अध्ययन से भारत की एक ऐसी सभ्यता का पता चला है, जो ईसा से लगभग चार हजार वर्ष पहले की है अर्थात् वैदिककालीन सभ्यता से भी कहीं अधिक पुरानी सिंधु की घाटी के प्रदेश में तथा कुछ अन्य स्थानों में भी खुदाइयां हुई हैं जिनमें वही चीजें मिली हैं जो हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो में मिली थीं। इससे यह अनुमान लगाया गया है सिंधु घाटी के सम्पूर्ण प्रदेश की सभ्यता एक सी थी। इसी से सिंधु घाटी की सभ्यता को हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की सभ्यता के नाम से भी पुकारा गया है। ये history of india in hindi के इतिहास में एक अलग ही एम्प्रूमेंट था। जिससे हमारे भारत वर्ष के इतिहास के कुछ पक्के सबूत थे।
परन्तु history of india in hindi में अधिकांश विद्वानों ने इसे सिंधु घाटी की सभ्यता से ही सम्बोधित किया है। उपर्युक्त विवरण से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि सिंधु घाटी की सभ्यता का तात्पर्य उन लोगों की सभ्यता से है जो सिंधु नदी की घाटी से ईसा में लगभग चार हजार वर्ष पहले निवास करते थे अर्थात् उन लोगों का सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक जीवन किस प्रकार का था ।
history of india सामाजिक जीवन सिन्धु घाटी
हड़प्पा, मोहनजोदडो, अमरो, चन्दूदड़ो, झूकरदड़ो स्थानों में खुदाई के फलस्वरूप वस्तुओं के अध्ययन से सिंधु घाटी के लोगों के सामाजिक जीवन पर निम्नलिखित प्रकाश पड़ता है।
विभिन्न विद्वानों द्वारा सिंधु सभ्यता का काल निर्धारण काल
3500-2700 ई०पू०
3250-2750 ई०पू०
2900 ई०पू०-1900 ई०पू०
2800-2500 ई०पू०
2500-1500 ई०पू०
9850-1700 ई०पू०
2500 ई०पू०-1750 ई०पू०
2000-1500 ई०पू०
विज्ञान
माधस्वरूप
जान मार्शल
डेल्स
अर्नेस्ट मैके
मार्टीमर हीलर सी०जे० गैड
डी०पी० अग्रवाल
फेयर सर्विस
bharat ka itihas ~ खोजने से पता चला भारत का इतिहास
ancient history of india जबसे (Harappa) हड़प्पा और मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro) को खोजा गया है। तब से ही हमें भारत के पुराने काल और पुराने लोगों का रहन सहन के बारे में पता चला। वह किस तरीके से रहते थे, उनकी सभ्यता क्या थी, उनके शहरों की डिजाइन क्या थी, वह किस तरीके से रहा करते थे, किस तरीके से एक दूसरे से व्यवहार रखते थे। कौन से ऐसे धर्म थे जिनको माना करते थे. यह सब हमें पता चला जब हमने भारत का इतिहास (bharat ka itihas) को खोजा।
(1) नगर योजना - town planning
history of india in hindi खुदाइयों से पता लगा है कि हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो दोन विशाल नगर थे। इन नगरों का निर्माण एक निश्चित योजना के अनुसार किया गया नगरों की सड़कें उत्तर से दक्षिण को अथवा पूर्व से पश्चिम को एक-दूसरे को सीधे सम पर काटती हुई जाती थीं।
इस प्रकार नगर, इन सड़कों द्वारा कई वर्गाकार अथवा आय भागों में विभक्त हो जाता था। यह सड़कें बड़ी चौड़ी होती थीं। नगर की प्रमुख सड़कें 100 फीट तक चौड़ी पाई गई हैं, जिससे स्पष्ट है कि सड़कों पर एक साथ कई गाड़ियां सकती थीं। बड़ी-बड़ी सड़कों को मिलाने वाली गलियां भी काफी चौड़ी होती थीं। जो कम से कम चौड़ी होती थीं, उनकी भी चौड़ाई चार फीट की पाई गई है। यह बड़े की बात हैं कि यह सड़कें कच्ची हैं और इन्हें पक्की बनाने का प्रयत्न नहीं किया.
(2) भवन निर्माण-building construction
सड़कों के दोनों किनारों पर मकान होते थे, जो बने होते थे। यह ईंटें लकड़ी से पकाई जाती थीं। अधिकांश मकान दो मंजिलों के होते परन्तु दीवारों की मोटाई से पता लगता है कि दो से भी अधिक मंजिलों के मकान बना थे नीचे की मंजिल से ऊपर की मंजिल में जाने के लिए सीढ़ियां बनी होती थी। सीढ़ियां संकीर्ण मिली हैं, परन्तु कुछ काफी चौड़ी तथा सुविधाजनक सीढ़ियां भी मिली है। बड़े-बड़े मकानों के दरवाजे बड़े-बड़े होते थे। कुछ मकानों के दरवाजे तो इतने हैं कि उनमें रथ तथा बैलगाड़ियां भी आ-जा सकती थीं।
history of india
history of india in hindi में आज भी ऐसे घर मौजूद है. जो पहले घरों से मेल खाते थे. जिनके कमरों में दीवारों के साथ अलमारियां भी लगी रहती थीं। हड्डियों तथा शंख की हुई कुछ ऐसी चीजें मिली हैं जिनसे पता लगता है कि कमरों में खुटियां भी लगी होती थी दरवाजों तथा मकानों में खिड़कियों का पूरा प्रबन्ध रहता था . जिससे हवा तथा प्रकाश कमी ना हो इन दरवाजों तथा खिड़कियों की एक बहुत बड़ी विशेषता यह थी-कि यह भीतर की दीवारों में बने होते थे।
जो दीवारें सार्वजनिक सड़कों की ओर होती थीं, उन दरवाजे तथा खिड़कियां नहीं होती थीं। मकान के बीच में एक आंगन होता था, जिसमें ए कोने में रसोईघर बना होता था। रसोईघर के चूल्हे ईंटों के बने होते थे। प्रत्येक मकान एक स्नानागार का होना आवश्यक था। इन स्नानागारों में मिट्टी के बर्तन में पानी रख जाता था। इन स्नानागारों का फर्श पक्की ईंटों का बना होता था और उसकी सफाई क बड़ा ध्यान रखा जाता था। बहुत से स्नानागारों के समीप शौचालय भी मिले हैं।
(3) नालियों का प्रबन्ध-Management of drains
नगर के मैले जल को वह लोग बाहर जाने के लिए नालियों क प्रबन्ध किया करते थे। सब नालियां पक्की ईंटों की बनी होती थीं। ईंटों को जोड़ने के लिए मिट्टी मिले चूने का प्रयोग किया करते थे। कम चौड़ी नालियां ईंटों से और अधिक चौड़ नालियां पत्थर के टुकड़ों से ढकी जाती थीं। ऊपर की मंजिल का गन्दा पानी नीचे लाने क लिए मिट्टी के पाइपों का प्रयोग किया करते थे। जो हिस्ट्री ऑफ इंडिया (history of india) के आधुनिक युग में आज भी मौजूद है.
(4) कुंओं का प्रबन्ध-Management of wells
आसानी से जल प्राप्त करने के लिए सिंधु घाटी के लोग कुंओं का प्रबन्ध करते थे। खुदाई में ऐसे कुएं मिले हैं जिनकी चौड़ाई दो फीट से सात फीट है। सार्वजनिक कुओं के अतिरिक्त, जो जनता के लिए बने होते थे, लोग अपने घ में अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए कुएं बनवाते थे। हालांकि आज आधुनिक भारत में यह bharat ka itihas खत्म हो चुका है.
(5) जलाशय तथा स्नानागार-Reservoir and bath
मोहनजोदड़ो की खुदाई में एक बहुत बड़ा जलाश भी मिला है। यह जलाशय 39 फीट लम्बा और 33 फीट चौड़ा और 8 फीट गहरा है। यह पक्की ईंटों का बना हुआ है और इसकी दीवारें बड़ी मजबूत हैं। इस जलाशय के चारों ओ एक बारादरी बनी है, जिसकी चौड़ाई 15 फीट है। जल-कुण्ड के दक्षिण-पश्चिम की ओ आठ स्नानागार बने हुए हैं। इन स्नानागारों के ऊपर कमरे बने थे, जिनमें पुजारी लोग रह करते थे। जलाशय के निकट एक कुआं भी मिला है।
संभवतः इसी कुएं के पानी से जलाश को भरा जाता था। जलाशय को भरने तथा खाली करने के लिए नल बने होते थे। जलाश के निकट ही एक भवन मिला है, जो संभवतः हम्माम था और जिसमें जल के गर्म कर का प्रबन्ध था। जिसको आज हम modern भारत में india after gandhi से इस साइंस के युग में हम पानी का स्टोर कह सकते हैं.
(6) नगर की सुरक्षा का प्रबन्ध-
जैसे आज के टाइम में बॉर्डर पर हमारे सिपाही हमारी देश की रक्षा करते हैं. इसी तरह वह भी अपने नगरों को शत्रुओं से सुरक्षित रखने के लिए वह लोग नगर के चारों ओर खाई तथा दीवार का भी प्रबन्ध करते थे। यह चहारदीवारी संभव दुर्ग का भी काम देती थी।
(7) समाज का संगठन-organization of society
history of india in hindi की मोहनजोदड़ो खुदाइयों से पता लगता है कि सिंधु घाट के लोगों का समाज चार वर्गों में विभक्त था। पहला वर्ग विद्वानों का था, जिसमें पुजारी वैद्य, ज्योतिष आते थे। दूसरे वर्ग में योद्धा लोग आते थे, जिनका कर्त्तव्य समाज की रक्षा करना होता था। तीसरे वर्ग में व्यवसायी लोग आते थे। ये लोग विभिन्न प्रकार के उद्योग-धन्धे करते थे। चौथे वर्ग में घरेलू नौकर तथा मजदूर आते थे ।
(8) भोजन और खानपान - food and catering
खुदाई में गेहूं, जौ, चावल, खजूर के बीज आदि मिले हैं, जिनसे पता है कि यही चीजें सिन्धु घाटी के लोग खाते रहे होंगे। खुदाई में कुछ अवजली हड्डियां छिलके भी मिले हैं; जिनसे यह अनुमान लगाया गया है कि ये लोग मछली, मांस, अंडे आदि का प्रयोग किया करते थे। फल, दूध तथा तरकारी का भी यह लोग प्रयोग करते थे। (५) वेषभूषा- सिंधु घाटी के निवासी छोटी दाढ़ी तथा मूंछें रखते थे। परन्तु कुछ लोग इहें मुडवा भी डालते थे। कुछ लोगों के बाल छोटे होते थे और कुछ लोगों के लम्बे होते ये चोटी बांधे रहते थे।
यह लोग वालों में कंघी करते थे और पीछे की ओर फेरे रहते ई। सिन्धु घाटी के लोग ऊनी तथा सूती दोनों प्रकार के वस्त्र पहनते थे। वह वस्त्र साधारण हा करते थे। खुदाई में एक पुरुष की मूर्ति मिली है जिसमें वह एक शाल ओढ़े है। शाल बायेकये के ऊपर से और दाहिनी कांख के नीचे जाता है।
विद्वानों का अनुमान है कि इसके दो मुख्य वस्त्र रहे होंगे-एक शरीर के नीचे के भाग को ढकने के लिए और दूसरा ऊपर के मांग के लिए। हड़प्पा की खुदाइयों से पता चलता है कि स्त्रियां सिर पर एक विशेष प्रकार का वस्त्र पहनती थीं जो सिर के पीछे की ओर पंखे की तरह उठा रहता था। ऐसा प्रतीत होता है कि स्त्रियों तथा पुरुषों के वस्त्रों में कोई विशेष अन्तर नहीं होता था । सिन्धु घाटी के लोग विभिन्न प्रकार के आभूषणों का भी प्रयोग करते थे। एक हिंदी स्टोरी माँ बेटे की
History of India Conclusion
history of india सीरीज की हमारी यह दूसरी पोस्ट आप लोगों को कैसे लगी आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं. history of india in hindi के संपूर्ण इतिहास के ऊपर हम इस सीरीज को लेकर चल रहे हैं. और भारत का इतिहास यह हमारी दूसरी पोस्ट है. इसको ज्यादा से ज्यादा फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, सभी जगह शेयर करें ताकि और लोग भी भारत का इतिहास को जान सके। किया आप जानते हैं old history ncert 2, कोल और द्रविड़ सभ्यता कोल कौन थे?
Good
ReplyDelete