Part 3 सिन्धु घाटी की सभ्यता ~ history of india in hindi

आज की पोस्ट है हम जानेंगे भारत का इतिहास के बारे में। history of india in hindi  से india after Gandhi तक। इस सीरीज का ये तीसरा भाग है पहले दो भाग में हम जान चुके हैं द्रविड़ और कौल लोग कौन थे। सबसे पहले भारत में कौन लोग रहते थे।



अब यहां से हम जाना शुरू करेंगे हिस्ट्री ऑफ इंडिया के लिए, सिंधु घाटी की सभ्यता  क्या थी। बहुत अहम् कड़ी है यह  हमारे भारत के इतिहास के लिए । इस पोस्ट को आप ऑफ history of india से ancient history of india के दौर के गुजरते हुए।  history of punjab तक भारत का पुराना इतिहास  लेकर एक review के तौर पर देख सकते हैं.

भोजन और खानपान - food and catering  तक पिछली पोस्ट में आप पढ़ चुके हैं।  अब आगे जानेगे.


मोहनजोदारो और हड़प्पा की खुदाई से इस बात का पता चलता है। पुरातन काल भारत में लगभग आज से 5000 साल पहले भारत के लोग बाकी दुनिया से काफी ज्यादा एडवांस थे, उन लोगों का रहन सहन और उनके पास पैसे सोना चांदी की तो कमी ही नहीं थी। ऊपर मैंने आप लोगों को बता ही दिया कि उनके शहरों का नक्शा किस तरीके से होता था। जो पिछली पोस्ट में हमने पढ़ा था। 


history of india in hindi खुदाई में मिले ताम्रपत्र ~Excavated copper plates 


ताम्रपत्र निर्माण कला-
मोहनजोदारो  की  खुदाई में बहुत से ताम्रपत्र मिले हैं। ये ताम्रपत्र वर्गाकार व आयताकार हैं। इनमें एक और मनुष्य अथवा पशुओं के चित्र बने हैं और दूसरी कार लेख लिखे हैं। 

(५) धातुकला-
विभिन्न प्रकार की धातुओं के भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुओं के बनाने में ये लोग बड़े कुशल थे। मूल्यवान रत्नों को कांट-छांटकर यह लोग आभूषण बनाते थे। सोने, चांदी, तांबे आदि के भी आभूषण बनाये जाते थे। शंख तथा सीप से भी विभिन्न प्रकार की चीजें बनाई जाती थीं। खुदाई में यह भी पता लगाया गया मोहनजोदारो और हड़प्पा जैसे प्राचीन शहरों में सोने का बहुत बड़ा कारोबार किया जाता था। ऐसे शेरों की वजह से ही भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। मोहनजोदारो में ऐसे बहुत से ताम पत्र मिले जो इस बात को साबित करते हैं-कि यह प्राचीन शहर भव्य खूबसूरत और काफी खुशहाल तो थे ही-यह काफी एडवांस भी थे। 



राजनीतिक जीवन india after Gandhi


खुदाई में जो चीजें मिली हैं, उनसे सिन्धु घाटी के लोगों के राजनीतिक जीवन पर बहुत कम प्रकाश पड़ा है। परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि सिन्धु, पंजाब, पूर्वी बिलोचिस्तान तथा काठियावाड़ तक विस्तृत सिन्धु सभ्यता के क्षेत्र में एक संगठन, एक व्यवस्था तथा एक ही प्रकार का शासन था। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि इस सम्पूर्ण क्षेत्र में एक ही प्रकार की नाप तथा तौल प्रचलित थी, एक ही प्रकार के भवनों का निर्माण होता था, एक ही प्रकार की मूर्तियां बनाई जाती थीं तथा एक ही प्रकार की लिपि का प्रचार था। गमनागमन के साधनों की कमी होने के कारण इस विशाल साम्राज्य की सम्भवतः दो राजधानियां थीं, एक हड़प्पा और दूसरी मोहनजोदड़ो में इन्हीं दोनों केन्द्रों से उत्तर तथा दक्षिण का शासन चलना था। 

हड़प्पा उत्तरी साम्राज्य की और मोहनजोदड़ों दक्षिणी साम्राज्य की राजधानी थी। india after Gandhi पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, इन  सभी देशों के लोग आज भी एक ही तरह की भाषा और एक ही तरह की ही ज्यादातर मूर्तियों की पूजा करते हैं। 

"Popular Hinduism of today contains many of these elements thus furnishing a remarkable proof of the extraordinary continuity of Indian culture through the years."

-Dr. R.S. Tripathi "The Indus Valley civilization is not closely connected with nor borrowed from Mesopotamian civilization. The opinion is gaining ground that Indus civilization was the earliest civilization in the world." -R.K. Mukherji

निवासी- history of indian flag कोल थे या  द्रविड़ सभ्यता 


निवासी-
अब इस पर विचार कर लेना आवश्यक है कि ऊपर जिस सभ्यता का वर्णन किया गया है, उसके निर्माता कौन थे? इस सम्बन्ध में विद्वानों में बड़ा मतभेद है। विद्वानों की धारणा है कि सिन्धु सभ्यता के निर्माता वही आर्य थे जिन्होंने वैदिक सभ्यता का निर्माण किया था। परन्तु यह मत ठीक नहीं लगता, क्योंकि सिन्धु सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता में इतना बड़ा अन्तर है कि एक ही जाति के लोग इन दोनों के निर्माता नहीं हो सकते। 

कुछ विद्वानों के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता सुमेरियन जाति के थे। एक विद्वान के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता वही असुर थे जिसका वर्णन वेदों में मिलता है। प्रो० रामलखन बनर्जी के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता द्रविड़ लोग थे। चूंकि दक्षिण भारत के द्रविड़ों के मिट्टी और पत्थर के वर्तन, तथा उनके आभूषण सिन्धु घाटी के लोगों के बर्तन तथा आभूषणों से मिलते जुलते हैं, अतएव यह मत अधिक ठीक प्रतीत होता है। 

परन्तु खुदाई में जो हड्डियां मिली हैं, वह किसी एक जाति की नहीं, history of indian flag वरन विभिन्न जातियों की हैं। अतएव कुछ विद्वानों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि सिन्धु घाटी के निर्माता मिश्रित जाति के थे। यही मत सबसे अधिक ठीक लगता है। आज के आधुनिक युग में भी भारत तमाम जातियों को लेकर अपने आप में एक अनोखा देश है। यही तो इस देश की खूबसूरती और ऐतिहासिक history of india in hindi इतिहास है। 



history of Punjab ~ सिन्धु घाटी की सभ्यता और पमुख पहचान 

 

(1) धर्म -
द्विदेवतामूलक सभ्यता सिन्धु घाटी के लोगों का धर्म द्विदेवतामूलक था, परम पुरुष के साथ-साथ वे परम नारी के भी पूजक थे।

(2) लेखन कला का ज्ञान-
सिन्धु घाटी के निवासियों को लेखन कला का भी ज्ञान था, यद्यपि मुहरों पर मिली हुई लिपि का अभी तक निश्चय नहीं किया जा सका है, किन्तु इतना तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इसके माध्यम द्वारा वे विचारों का आदान-प्रदान करते थे।

(3) अन्य सभ्यताओं से सम्बन्धित सभ्यता-
सिन्धु घाटी की सभ्यता की एक बहुत बड़ी विशेषता यह थी कि वह एकाकी सभ्यता ना थी, वरनु तत्कालीन अन्य सभ्यताओं मे इसका बड़ा घनिष्ठ सम्बन्ध था, क्योंकि यहां के लोग विदेशों के साथ अपना घनिष्ठ सम्बन्ध बनाये हुए थे।

(4) महादेवी की उपासना-
खुदाई में ऐसी मोहरें तथा मूर्तियां मिली हैं जिनमें खड़ी हुई नारी का चित्र अंकित है। सर जॉन मार्शल के विचार में यह महादेवी का चित्र है, जिसकी उपासना सिन्धु घाटी के लोग किया करते थे। यही महादेवी आगे चलकर शक्ति हो गई, जिसकी पूजा आजकल भी हिन्दू लोग करते हैं।

(5) प्रकृति पूजा
सिंधु घाटी के लोग विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पदार्थों की भी पूजा किया करते थे। ये लोग सूर्य तथा अग्नि की पूजा किया करते थे। जलपूजा भी इन लोगों में प्रचलित थी। ये लोग कुछ वृक्षों को भी पवित्र मानते थे, जिनकी वह पूजा किया करते थे। पीपल तथा तुलसी की पूजा आज भी हिन्दुओं में प्रचलित है। खुदाई में पशु मूर्तियां भी मिली हैं। इससे यह अनुमान लगाया गया है कि यह लोग पशु की भी पूजा किया करते थे। गाय को आजकल भी हिन्दु पवित्र मानते हैं और उसकी पूजा किया करते हैं।

क्या पता शायद उस समय में भी लोग गाय की पूजा क्या करते हों।  इसका पुख्ता सबूत किसी के पास नहीं है। आज के समय में सिन्धु घाटी जिसको आज सिंध नदी के नाम से जानता है।आज पंजाब और पाकिस्तान के पंजाब दोनों में है। यह history of Punjab में बहुत ही ज्यादा मान्यता रहती है।

history of india in hindi उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि आजकल के हिन्दु धर्म का बीजारोपण सिन्धु घाटी के प्रदेश में ईसा से लगभग चार सहस्त्र वर्ष पूर्व हुआ था। इसी से डा० रमाशंकर त्रिपाठी ने लिखा है, "आजकल के लोकप्रिय हिन्दु धर्म में बहुत से ऐसे तत्व विद्यमान हैं जिनसे प्रमाणित हो जाता है कि भारतीय संस्कृति की युगांतर में अद्भुत निरन्तरता बनी रही।


Music और Art सिंधु घाटी bharat ka itihas


संगीत और कला इसका history पूरी दुनिया में बहुत ही पुराना है। पुराने समय से ही लोग इसको सुनना देखना बहुत ज्यादा पसंद करते थे। समय-समय पर इस दोनों कलाओं में एक से बढ़कर एक artist और कलाकार पैदा हुए। लेकिन भारत का इन दोनों ही कलाओं में बहुत ही महत्वपूर्ण है, चाहे पहले का दौर हो या आज का दौर हो। पहले के समय में भी भारत के समय भारत के पास एक से बढ़कर एक कलाकार और आर्टिस्ट है। और यही कला और आर्टिस्ट सिंधु घाटी के लोगों में भी पाई गई थी। इस बात की पुष्टि history of india in hindi के तहत R.K. Mukherji
 ने की है

(1) नृत्य तथा संगीत कला-
सिन्धु घाटी के लोग नाचने-गाने में भी बड़े कुशल थे। खुदाई में एक नर्तकी की मूर्ति मिली है। नर्तकी का शरीर नग्न है, परंतु उस पर बहुत से आभूषण बनाए गये हैं। इस मूर्ति के सिर के बालों को बड़ी उत्तमता से संवारा गया है। खुदाई में जो छोटे-छोटे बाजे मिले हैं, उनसे भी यही ज्ञात होता है कि यह लोग संगीत कला में रुचि रखते थे। तबले तथा ढोल के भी चिन्ह कुछ स्थानों में मिले हैं।

(2) चित्रकारी 
सिन्धु घाटी के लोग चित्र कला में बड़े कुशल थे। मुहरों की सबसे अच्छी चित्रकारी सांड तथा भैंसों की है। सांडों के चित्र अत्यन्त सजीव तथा सुन्दर हैं।

(3) मूर्ति कला निर्माण-
सिंधु घाटी के लोग मूर्तियों के बनाने में बड़े सिद्धहस्त थे। यह मूर्तियां मुलायम पत्थर तथा चट्टान को काटकर बनाई जाती थीं। इन मूर्तियों की प्रमुख विशेषताएं यह हैं कि इनके गाल की हड्डियां स्पष्ट रहती हैं। इनकी गर्दन छोटी मोटी तथा मजबूत होती है और आंखें पतली तथा तिरछी होती हैं। (5) पात्र निर्माण कला-सिन्धु घाटी के लोग मिट्टी के बर्तनों के बनाने की कला. 



निष्कर्ष 
उपर्युक्त विशेषताओं से यह स्पष्ट जाता है कि आज से लगभग पांच सहस्त्र वर्ष पूर्व सिन्धु सरिता की घाटी की गोद में एक ऐसी समुन्नत सभ्यता अंकुरित, पुष्पित, पल्लवित तथा फलान्वित हुई थी जिसकी उत्कृष्टता का अवलोकन कर आज के सभ्यताभिमानी देश भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं।history of india in hindi. history of Punjab. सिन्धु घाटी की सभ्यता की यह पोस्ट आप लोगों को कैसे लगी। आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। और इस पोस्ट को आप फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, सभी जगह शेयर करें, ताकि संपूर्ण भारतवासी अपने इतिहास को जान सके। 
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