Wednesday, July 26, 2023

आज की पोस्ट है हम जानेंगे भारत का इतिहास के बारे में। history of india in hindi  से india after Gandhi तक। इस सीरीज का ये तीसरा भाग है पहले दो भाग में हम जान चुके हैं द्रविड़ और कौल लोग कौन थे। सबसे पहले भारत में कौन लोग रहते थे।



अब यहां से हम जाना शुरू करेंगे हिस्ट्री ऑफ इंडिया के लिए, सिंधु घाटी की सभ्यता  क्या थी। बहुत अहम् कड़ी है यह  हमारे भारत के इतिहास के लिए । इस पोस्ट को आप ऑफ history of india से ancient history of india के दौर के गुजरते हुए।  history of punjab तक भारत का पुराना इतिहास  लेकर एक review के तौर पर देख सकते हैं.

भोजन और खानपान - food and catering  तक पिछली पोस्ट में आप पढ़ चुके हैं।  अब आगे जानेगे.


मोहनजोदारो और हड़प्पा की खुदाई से इस बात का पता चलता है। पुरातन काल भारत में लगभग आज से 5000 साल पहले भारत के लोग बाकी दुनिया से काफी ज्यादा एडवांस थे, उन लोगों का रहन सहन और उनके पास पैसे सोना चांदी की तो कमी ही नहीं थी। ऊपर मैंने आप लोगों को बता ही दिया कि उनके शहरों का नक्शा किस तरीके से होता था। जो पिछली पोस्ट में हमने पढ़ा था। 


history of india in hindi खुदाई में मिले ताम्रपत्र ~Excavated copper plates 


ताम्रपत्र निर्माण कला-
मोहनजोदारो  की  खुदाई में बहुत से ताम्रपत्र मिले हैं। ये ताम्रपत्र वर्गाकार व आयताकार हैं। इनमें एक और मनुष्य अथवा पशुओं के चित्र बने हैं और दूसरी कार लेख लिखे हैं। 

(५) धातुकला-
विभिन्न प्रकार की धातुओं के भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुओं के बनाने में ये लोग बड़े कुशल थे। मूल्यवान रत्नों को कांट-छांटकर यह लोग आभूषण बनाते थे। सोने, चांदी, तांबे आदि के भी आभूषण बनाये जाते थे। शंख तथा सीप से भी विभिन्न प्रकार की चीजें बनाई जाती थीं। खुदाई में यह भी पता लगाया गया मोहनजोदारो और हड़प्पा जैसे प्राचीन शहरों में सोने का बहुत बड़ा कारोबार किया जाता था। ऐसे शेरों की वजह से ही भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। मोहनजोदारो में ऐसे बहुत से ताम पत्र मिले जो इस बात को साबित करते हैं-कि यह प्राचीन शहर भव्य खूबसूरत और काफी खुशहाल तो थे ही-यह काफी एडवांस भी थे। 



राजनीतिक जीवन india after Gandhi


खुदाई में जो चीजें मिली हैं, उनसे सिन्धु घाटी के लोगों के राजनीतिक जीवन पर बहुत कम प्रकाश पड़ा है। परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि सिन्धु, पंजाब, पूर्वी बिलोचिस्तान तथा काठियावाड़ तक विस्तृत सिन्धु सभ्यता के क्षेत्र में एक संगठन, एक व्यवस्था तथा एक ही प्रकार का शासन था। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि इस सम्पूर्ण क्षेत्र में एक ही प्रकार की नाप तथा तौल प्रचलित थी, एक ही प्रकार के भवनों का निर्माण होता था, एक ही प्रकार की मूर्तियां बनाई जाती थीं तथा एक ही प्रकार की लिपि का प्रचार था। गमनागमन के साधनों की कमी होने के कारण इस विशाल साम्राज्य की सम्भवतः दो राजधानियां थीं, एक हड़प्पा और दूसरी मोहनजोदड़ो में इन्हीं दोनों केन्द्रों से उत्तर तथा दक्षिण का शासन चलना था। 

हड़प्पा उत्तरी साम्राज्य की और मोहनजोदड़ों दक्षिणी साम्राज्य की राजधानी थी। india after Gandhi पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, इन  सभी देशों के लोग आज भी एक ही तरह की भाषा और एक ही तरह की ही ज्यादातर मूर्तियों की पूजा करते हैं। 

"Popular Hinduism of today contains many of these elements thus furnishing a remarkable proof of the extraordinary continuity of Indian culture through the years."

-Dr. R.S. Tripathi "The Indus Valley civilization is not closely connected with nor borrowed from Mesopotamian civilization. The opinion is gaining ground that Indus civilization was the earliest civilization in the world." -R.K. Mukherji

निवासी- history of indian flag कोल थे या  द्रविड़ सभ्यता 


निवासी-
अब इस पर विचार कर लेना आवश्यक है कि ऊपर जिस सभ्यता का वर्णन किया गया है, उसके निर्माता कौन थे? इस सम्बन्ध में विद्वानों में बड़ा मतभेद है। विद्वानों की धारणा है कि सिन्धु सभ्यता के निर्माता वही आर्य थे जिन्होंने वैदिक सभ्यता का निर्माण किया था। परन्तु यह मत ठीक नहीं लगता, क्योंकि सिन्धु सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता में इतना बड़ा अन्तर है कि एक ही जाति के लोग इन दोनों के निर्माता नहीं हो सकते। 

कुछ विद्वानों के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता सुमेरियन जाति के थे। एक विद्वान के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता वही असुर थे जिसका वर्णन वेदों में मिलता है। प्रो० रामलखन बनर्जी के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता द्रविड़ लोग थे। चूंकि दक्षिण भारत के द्रविड़ों के मिट्टी और पत्थर के वर्तन, तथा उनके आभूषण सिन्धु घाटी के लोगों के बर्तन तथा आभूषणों से मिलते जुलते हैं, अतएव यह मत अधिक ठीक प्रतीत होता है। 

परन्तु खुदाई में जो हड्डियां मिली हैं, वह किसी एक जाति की नहीं, history of indian flag वरन विभिन्न जातियों की हैं। अतएव कुछ विद्वानों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि सिन्धु घाटी के निर्माता मिश्रित जाति के थे। यही मत सबसे अधिक ठीक लगता है। आज के आधुनिक युग में भी भारत तमाम जातियों को लेकर अपने आप में एक अनोखा देश है। यही तो इस देश की खूबसूरती और ऐतिहासिक history of india in hindi इतिहास है। 



history of Punjab ~ सिन्धु घाटी की सभ्यता और पमुख पहचान 

 

(1) धर्म -
द्विदेवतामूलक सभ्यता सिन्धु घाटी के लोगों का धर्म द्विदेवतामूलक था, परम पुरुष के साथ-साथ वे परम नारी के भी पूजक थे।

(2) लेखन कला का ज्ञान-
सिन्धु घाटी के निवासियों को लेखन कला का भी ज्ञान था, यद्यपि मुहरों पर मिली हुई लिपि का अभी तक निश्चय नहीं किया जा सका है, किन्तु इतना तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इसके माध्यम द्वारा वे विचारों का आदान-प्रदान करते थे।

(3) अन्य सभ्यताओं से सम्बन्धित सभ्यता-
सिन्धु घाटी की सभ्यता की एक बहुत बड़ी विशेषता यह थी कि वह एकाकी सभ्यता ना थी, वरनु तत्कालीन अन्य सभ्यताओं मे इसका बड़ा घनिष्ठ सम्बन्ध था, क्योंकि यहां के लोग विदेशों के साथ अपना घनिष्ठ सम्बन्ध बनाये हुए थे।

(4) महादेवी की उपासना-
खुदाई में ऐसी मोहरें तथा मूर्तियां मिली हैं जिनमें खड़ी हुई नारी का चित्र अंकित है। सर जॉन मार्शल के विचार में यह महादेवी का चित्र है, जिसकी उपासना सिन्धु घाटी के लोग किया करते थे। यही महादेवी आगे चलकर शक्ति हो गई, जिसकी पूजा आजकल भी हिन्दू लोग करते हैं।

(5) प्रकृति पूजा
सिंधु घाटी के लोग विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पदार्थों की भी पूजा किया करते थे। ये लोग सूर्य तथा अग्नि की पूजा किया करते थे। जलपूजा भी इन लोगों में प्रचलित थी। ये लोग कुछ वृक्षों को भी पवित्र मानते थे, जिनकी वह पूजा किया करते थे। पीपल तथा तुलसी की पूजा आज भी हिन्दुओं में प्रचलित है। खुदाई में पशु मूर्तियां भी मिली हैं। इससे यह अनुमान लगाया गया है कि यह लोग पशु की भी पूजा किया करते थे। गाय को आजकल भी हिन्दु पवित्र मानते हैं और उसकी पूजा किया करते हैं।

क्या पता शायद उस समय में भी लोग गाय की पूजा क्या करते हों।  इसका पुख्ता सबूत किसी के पास नहीं है। आज के समय में सिन्धु घाटी जिसको आज सिंध नदी के नाम से जानता है।आज पंजाब और पाकिस्तान के पंजाब दोनों में है। यह history of Punjab में बहुत ही ज्यादा मान्यता रहती है।

history of india in hindi उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि आजकल के हिन्दु धर्म का बीजारोपण सिन्धु घाटी के प्रदेश में ईसा से लगभग चार सहस्त्र वर्ष पूर्व हुआ था। इसी से डा० रमाशंकर त्रिपाठी ने लिखा है, "आजकल के लोकप्रिय हिन्दु धर्म में बहुत से ऐसे तत्व विद्यमान हैं जिनसे प्रमाणित हो जाता है कि भारतीय संस्कृति की युगांतर में अद्भुत निरन्तरता बनी रही।


Music और Art सिंधु घाटी bharat ka itihas


संगीत और कला इसका history पूरी दुनिया में बहुत ही पुराना है। पुराने समय से ही लोग इसको सुनना देखना बहुत ज्यादा पसंद करते थे। समय-समय पर इस दोनों कलाओं में एक से बढ़कर एक artist और कलाकार पैदा हुए। लेकिन भारत का इन दोनों ही कलाओं में बहुत ही महत्वपूर्ण है, चाहे पहले का दौर हो या आज का दौर हो। पहले के समय में भी भारत के समय भारत के पास एक से बढ़कर एक कलाकार और आर्टिस्ट है। और यही कला और आर्टिस्ट सिंधु घाटी के लोगों में भी पाई गई थी। इस बात की पुष्टि history of india in hindi के तहत R.K. Mukherji
 ने की है

(1) नृत्य तथा संगीत कला-
सिन्धु घाटी के लोग नाचने-गाने में भी बड़े कुशल थे। खुदाई में एक नर्तकी की मूर्ति मिली है। नर्तकी का शरीर नग्न है, परंतु उस पर बहुत से आभूषण बनाए गये हैं। इस मूर्ति के सिर के बालों को बड़ी उत्तमता से संवारा गया है। खुदाई में जो छोटे-छोटे बाजे मिले हैं, उनसे भी यही ज्ञात होता है कि यह लोग संगीत कला में रुचि रखते थे। तबले तथा ढोल के भी चिन्ह कुछ स्थानों में मिले हैं।

(2) चित्रकारी 
सिन्धु घाटी के लोग चित्र कला में बड़े कुशल थे। मुहरों की सबसे अच्छी चित्रकारी सांड तथा भैंसों की है। सांडों के चित्र अत्यन्त सजीव तथा सुन्दर हैं।

(3) मूर्ति कला निर्माण-
सिंधु घाटी के लोग मूर्तियों के बनाने में बड़े सिद्धहस्त थे। यह मूर्तियां मुलायम पत्थर तथा चट्टान को काटकर बनाई जाती थीं। इन मूर्तियों की प्रमुख विशेषताएं यह हैं कि इनके गाल की हड्डियां स्पष्ट रहती हैं। इनकी गर्दन छोटी मोटी तथा मजबूत होती है और आंखें पतली तथा तिरछी होती हैं। (5) पात्र निर्माण कला-सिन्धु घाटी के लोग मिट्टी के बर्तनों के बनाने की कला. 



निष्कर्ष 
उपर्युक्त विशेषताओं से यह स्पष्ट जाता है कि आज से लगभग पांच सहस्त्र वर्ष पूर्व सिन्धु सरिता की घाटी की गोद में एक ऐसी समुन्नत सभ्यता अंकुरित, पुष्पित, पल्लवित तथा फलान्वित हुई थी जिसकी उत्कृष्टता का अवलोकन कर आज के सभ्यताभिमानी देश भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं।history of india in hindi. history of Punjab. सिन्धु घाटी की सभ्यता की यह पोस्ट आप लोगों को कैसे लगी। आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। और इस पोस्ट को आप फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, सभी जगह शेयर करें, ताकि संपूर्ण भारतवासी अपने इतिहास को जान सके। 

Wednesday, July 19, 2023


history of india in hindi



सिन्धु घाटी की सभ्यता history of india in hindi: सिन्धु घाटी सभ्यता का तात्पर्य- आज से लगभग 70 वर्ष पूर्व पाकिस्तान के परिव पंजाब प्रांत के माण्टगोमरी जिले में स्थित 

हड़प्पा के निवासियों को शायद इस बात का किंचित मात्र भी आभास नहीं था कि वे अपने आस-पास की जमीन में दबी जिन ईटों का प्रयोग इतने धड़ल्ले से अपने मकानों में कर रहे हैं, वह कोई साधारण इट नहीं, बल्कि लगभग 5000 वर्ष पुरानी और पूरी तरह विकसित एक सभ्यता का अवशेष है। 

इसका आभास उन्हें तद हुआ जब 1856 ई० में ब्रिटिश भारत की हुकूमत ने करांची से लाहौर तक रेलवे लाइन बिठवाने हेतु ईंटों की आपूर्ति के लिये इन खण्डरों की खुदाई प्रारम्भ करवायी, खुदाई के दौरान ही "history of india in hindi" ancient india इस सभ्यता के प्रथम अवशेष प्राप्त हुये, जिसे 'हड़प्पा सभ्यता' का नाम दिया गया। 

कुछ विद्वानों ने इसे हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की सभ्यता के नाम से पुकारा है। हड़प्पा पश्चिमी पंजाब के मांटगोमरी जिले में और मोहनजोदड़ो सिंधु के लरकाना जिले में स्थित है। 1922 ई० में श्री राखालदास बनर्जी की अध्यक्षता में इन दोनों स्थानों में खुदाई हुई। आगे इसी स्थान पर जान मार्शल के नेतृत्व में खुदाइयों में जो वस्तुएं मिली हैं,

history of india in hindi सिन्धु घाटी

history of india in hindi सिन्धु घाटी


अध्ययन से भारत की एक ऐसी सभ्यता का पता चला है, जो ईसा से लगभग चार हजार वर्ष पहले की है अर्थात् वैदिककालीन सभ्यता से भी कहीं अधिक पुरानी सिंधु की घाटी के प्रदेश में तथा कुछ अन्य स्थानों में भी खुदाइयां हुई हैं जिनमें वही चीजें मिली हैं जो हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो में मिली थीं। इससे यह अनुमान लगाया गया है सिंधु घाटी के सम्पूर्ण प्रदेश की सभ्यता एक सी थी। इसी से सिंधु घाटी की सभ्यता को हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की सभ्यता के नाम से भी पुकारा गया है। ये history of india in hindi के इतिहास में एक अलग ही एम्प्रूमेंट था।  जिससे हमारे भारत वर्ष के इतिहास के कुछ पक्के सबूत थे। 

परन्तु history of india in hindi में अधिकांश विद्वानों ने इसे सिंधु घाटी की सभ्यता से ही सम्बोधित किया है। उपर्युक्त विवरण से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि सिंधु घाटी की सभ्यता का तात्पर्य उन लोगों की सभ्यता से है जो सिंधु नदी की घाटी से ईसा में लगभग चार हजार वर्ष पहले निवास करते थे अर्थात् उन लोगों का सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक जीवन किस प्रकार का था ।



history of india सामाजिक जीवन सिन्धु घाटी 


हड़प्पा, मोहनजोदडो, अमरो, चन्दूदड़ो, झूकरदड़ो स्थानों में खुदाई के फलस्वरूप वस्तुओं के अध्ययन से सिंधु घाटी के लोगों के सामाजिक जीवन पर निम्नलिखित प्रकाश पड़ता है।

विभिन्न विद्वानों द्वारा सिंधु सभ्यता का काल निर्धारण काल

3500-2700 ई०पू० 

3250-2750 ई०पू०

2900 ई०पू०-1900 ई०पू० 

2800-2500 ई०पू०

2500-1500 ई०पू० 

9850-1700 ई०पू०

2500 ई०पू०-1750 ई०पू०

2000-1500 ई०पू०

विज्ञान

माधस्वरूप

जान मार्शल

डेल्स

अर्नेस्ट मैके

मार्टीमर हीलर सी०जे० गैड

डी०पी० अग्रवाल

फेयर सर्विस
history of india in hindi सिन्धु घाटी




bharat ka itihas ~ खोजने से पता चला भारत का इतिहास


ancient history of india जबसे (Harappa)  हड़प्पा और मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro) को खोजा गया है। तब से ही हमें भारत के पुराने काल और पुराने लोगों का रहन सहन के बारे में पता चला।  वह किस तरीके से रहते थे, उनकी सभ्यता क्या थी, उनके शहरों की डिजाइन क्या थी, वह किस तरीके से रहा करते थे, किस तरीके से एक दूसरे से व्यवहार रखते थे। कौन से ऐसे धर्म थे जिनको माना करते थे. यह सब हमें पता चला जब हमने भारत का इतिहास (bharat ka itihas)  को खोजा।

(1) नगर योजना - town planning


history of india in hindi खुदाइयों से पता लगा है कि हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो दोन विशाल नगर थे। इन नगरों का निर्माण एक निश्चित योजना के अनुसार किया गया नगरों की सड़कें उत्तर से दक्षिण को अथवा पूर्व से पश्चिम को एक-दूसरे को सीधे सम पर काटती हुई जाती थीं। 

इस प्रकार नगर, इन सड़कों द्वारा कई वर्गाकार अथवा आय भागों में विभक्त हो जाता था। यह सड़कें बड़ी चौड़ी होती थीं। नगर की प्रमुख सड़कें 100 फीट तक चौड़ी पाई गई हैं, जिससे स्पष्ट है कि सड़कों पर एक साथ कई गाड़ियां सकती थीं। बड़ी-बड़ी सड़कों को मिलाने वाली गलियां भी काफी चौड़ी होती थीं। जो कम से कम चौड़ी होती थीं, उनकी भी चौड़ाई चार फीट की पाई गई है। यह बड़े की बात हैं कि यह सड़कें कच्ची हैं और इन्हें पक्की बनाने का प्रयत्न नहीं किया.

(2) भवन निर्माण-building construction


सड़कों के दोनों किनारों पर मकान होते थे, जो बने होते थे। यह ईंटें लकड़ी से पकाई जाती थीं। अधिकांश मकान दो मंजिलों के होते परन्तु दीवारों की मोटाई से पता लगता है कि दो से भी अधिक मंजिलों के मकान बना थे नीचे की मंजिल से ऊपर की मंजिल में जाने के लिए सीढ़ियां बनी होती थी। सीढ़ियां संकीर्ण मिली हैं, परन्तु कुछ काफी चौड़ी तथा सुविधाजनक सीढ़ियां भी मिली है। बड़े-बड़े मकानों के दरवाजे बड़े-बड़े होते थे। कुछ मकानों के दरवाजे तो इतने हैं कि उनमें रथ तथा बैलगाड़ियां भी आ-जा सकती थीं।

history of india 


history of india in hindi में आज भी ऐसे घर मौजूद है. जो पहले घरों से मेल खाते थे. जिनके कमरों में दीवारों के साथ अलमारियां भी लगी रहती थीं। हड्डियों तथा शंख की हुई कुछ ऐसी चीजें मिली हैं जिनसे पता लगता है कि कमरों में खुटियां भी लगी होती थी दरवाजों तथा मकानों में खिड़कियों का पूरा प्रबन्ध रहता था . जिससे हवा तथा प्रकाश कमी ना हो इन दरवाजों तथा खिड़कियों की एक बहुत बड़ी विशेषता यह थी-कि यह भीतर की दीवारों में बने होते थे। 

जो दीवारें सार्वजनिक सड़कों की ओर होती थीं, उन दरवाजे तथा खिड़कियां नहीं होती थीं। मकान के बीच में एक आंगन होता था, जिसमें ए कोने में रसोईघर बना होता था। रसोईघर के चूल्हे ईंटों के बने होते थे। प्रत्येक मकान एक स्नानागार का होना आवश्यक था। इन स्नानागारों में मिट्टी के बर्तन में पानी रख जाता था। इन स्नानागारों का फर्श पक्की ईंटों का बना होता था और उसकी सफाई क बड़ा ध्यान रखा जाता था। बहुत से स्नानागारों के समीप शौचालय भी मिले हैं।




(3) नालियों का प्रबन्ध-Management of drains


नगर के मैले जल को वह लोग  बाहर जाने के लिए नालियों क प्रबन्ध किया करते थे। सब नालियां पक्की ईंटों की बनी होती थीं। ईंटों को जोड़ने के लिए मिट्टी मिले चूने का प्रयोग किया करते थे। कम चौड़ी नालियां ईंटों से और अधिक चौड़ नालियां पत्थर के टुकड़ों से ढकी जाती थीं। ऊपर की मंजिल का गन्दा पानी नीचे लाने क लिए मिट्टी के पाइपों का प्रयोग किया करते थे। जो हिस्ट्री ऑफ इंडिया (history of india)  के आधुनिक युग में आज भी मौजूद है.

(4) कुंओं का प्रबन्ध-Management of wells


आसानी से जल प्राप्त करने के लिए सिंधु घाटी के लोग कुंओं का प्रबन्ध करते थे। खुदाई में ऐसे कुएं मिले हैं जिनकी चौड़ाई दो फीट से सात फीट है। सार्वजनिक कुओं के अतिरिक्त, जो जनता के लिए बने होते थे, लोग अपने घ में अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए कुएं बनवाते थे। हालांकि आज आधुनिक भारत में यह bharat ka itihas खत्म हो चुका है.

(5) जलाशय तथा स्नानागार-Reservoir and bath


मोहनजोदड़ो की खुदाई में एक बहुत बड़ा जलाश भी मिला है। यह जलाशय 39 फीट लम्बा और 33 फीट चौड़ा और 8 फीट गहरा है। यह पक्की ईंटों का बना हुआ है और इसकी दीवारें बड़ी मजबूत हैं। इस जलाशय के चारों ओ एक बारादरी बनी है, जिसकी चौड़ाई 15 फीट है। जल-कुण्ड के दक्षिण-पश्चिम की ओ आठ स्नानागार बने हुए हैं। इन स्नानागारों के ऊपर कमरे बने थे, जिनमें पुजारी लोग रह करते थे। जलाशय के निकट एक कुआं भी मिला है। 

संभवतः इसी कुएं के पानी से जलाश को भरा जाता था। जलाशय को भरने तथा खाली करने के लिए नल बने होते थे। जलाश के निकट ही एक भवन मिला है, जो संभवतः हम्माम था और जिसमें जल के गर्म कर का प्रबन्ध था। जिसको आज हम modern भारत में india after gandhi से इस साइंस के युग में हम पानी का स्टोर कह सकते हैं. 

(6) नगर की सुरक्षा का प्रबन्ध-


जैसे आज के टाइम में बॉर्डर पर हमारे सिपाही हमारी देश की रक्षा करते हैं. इसी तरह वह भी अपने नगरों को शत्रुओं से सुरक्षित रखने के लिए वह लोग नगर के चारों ओर खाई तथा दीवार का भी प्रबन्ध करते थे। यह चहारदीवारी संभव दुर्ग का भी काम देती थी।

(7) समाज का संगठन-organization of society


history of india in hindi की मोहनजोदड़ो  खुदाइयों से पता लगता है कि सिंधु घाट के लोगों का समाज चार वर्गों में विभक्त था। पहला वर्ग विद्वानों का था, जिसमें पुजारी  वैद्य, ज्योतिष आते थे। दूसरे वर्ग में योद्धा लोग आते थे, जिनका कर्त्तव्य समाज की रक्षा करना होता था। तीसरे वर्ग में व्यवसायी लोग आते थे। ये लोग विभिन्न प्रकार के उद्योग-धन्धे करते थे। चौथे वर्ग में घरेलू नौकर तथा मजदूर आते थे ।


(8) भोजन और खानपान - food and catering 


खुदाई में गेहूं, जौ, चावल, खजूर के बीज आदि मिले हैं, जिनसे पता है कि यही चीजें सिन्धु घाटी के लोग खाते रहे होंगे। खुदाई में कुछ अवजली हड्डियां छिलके भी मिले हैं; जिनसे यह अनुमान लगाया गया है कि ये लोग मछली, मांस, अंडे आदि का प्रयोग किया करते थे। फल, दूध तथा तरकारी का भी यह लोग प्रयोग करते थे। (५) वेषभूषा- सिंधु घाटी के निवासी छोटी दाढ़ी तथा मूंछें रखते थे। परन्तु कुछ लोग इहें मुडवा भी डालते थे। कुछ लोगों के बाल छोटे होते थे और कुछ लोगों के लम्बे होते ये चोटी बांधे रहते थे। 

यह लोग वालों में कंघी करते थे और पीछे की ओर फेरे रहते ई। सिन्धु घाटी के लोग ऊनी तथा सूती दोनों प्रकार के वस्त्र पहनते थे। वह वस्त्र साधारण हा करते थे। खुदाई में एक पुरुष की मूर्ति मिली है जिसमें वह एक शाल ओढ़े है। शाल बायेकये के ऊपर से और दाहिनी कांख के नीचे जाता है। 

विद्वानों का अनुमान है कि इसके दो मुख्य वस्त्र रहे होंगे-एक शरीर के नीचे के भाग को ढकने के लिए और दूसरा ऊपर के मांग के लिए। हड़प्पा की खुदाइयों से पता चलता है कि स्त्रियां सिर पर एक विशेष प्रकार का वस्त्र पहनती थीं जो सिर के पीछे की ओर पंखे की तरह उठा रहता था। ऐसा प्रतीत होता है कि स्त्रियों तथा पुरुषों के वस्त्रों में कोई विशेष अन्तर नहीं होता था । सिन्धु घाटी के लोग विभिन्न प्रकार के आभूषणों का भी प्रयोग करते थे। एक हिंदी स्टोरी माँ बेटे की 



History of India Conclusion


history of india सीरीज की हमारी यह दूसरी पोस्ट आप लोगों को कैसे लगी आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं. history of india in hindi के संपूर्ण इतिहास के ऊपर हम इस सीरीज को लेकर चल रहे हैं. और भारत का इतिहास यह हमारी दूसरी पोस्ट है. इसको ज्यादा से ज्यादा फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, सभी जगह शेयर करें ताकि और लोग भी भारत का इतिहास को जान सके। किया आप जानते हैं old history ncert 2, कोल और द्रविड़ सभ्यता कोल कौन थे? 






Tuesday, July 11, 2023

old history ncert



आज की इस पोस्ट में हम बात करेंगे भारत के संपूर्ण इतिहास old history ncert, history of india in hindi के बारे में वैसे तो भारत का इतिहास बहुत ही गहरा और बहुत लंबा भी है।


 भारत के इतिहास की शुरुआत हम शुरू से करेंगे कि भारत में सबसे पहले कौन लोग रहते थे। भारत का old history ncert सबसे पहले क्या था बड़े-बड़े विद्वान इसके बारे में क्या जानते हैं। इस कड़ी को हम आगे बढ़ने से पहले हमारी आप लोगों से गुजारिश है कि इस पोस्ट को फॉलो करें और शेयर करें ताकि जो आज old history ncert  लोग जा रहे हैं, वह हमारा इतिहास नहीं है। हम आपको सही और सच्चा भारत का इतिहास बताने की कोशिश करेंगे।

old history bharat



history of India in hindi ~ कोल और द्रविड़ सभ्यता कोल कौन थे


old history कोल भारत की एक बहुत पुरानी जाति है।  कुछ विद्वानों का मत है कि ये भारत के मूल निवासी थे और बाहर से नहीं आये थे, लेकिन कुछ विद्वानों का मत है कि ये लोग बाहर से उत्तर-पूर्व के पहाड़ी रास्तों से भारत आये थे।  कोला लोग भले ही भारत के निवासी रहे हों और बाहर से आए हों, लेकिन सभी इस बात से सहमत हैं कि वे भारत में रहने वाले पहले व्यक्ति थे।  

ऐसा प्रतीत होता है कि द्रविड़ उत्तर-पश्चिम से भारत आए, फिर उन्होंने कोल को उप-मैदानी इलाकों से खदेड़ दिया और वे पहाड़ी क्षेत्रों और जंगलों में भाग गए।  इसीलिए आज भी कोल लोग ऐसी जगहों पर पाए जाते हैं।  कोलों के वंशज आजकल बंगाल, मद्रास, मध्य प्रदेश और नागपुर (बिहार) के पहाड़ी और जंगली इलाकों में पाए गए हैं।  कोल की अनेक शाखाएँ होती हैं।  

उनमें से कुछ तो एकदम असभ्य हैं।  लेकिन कुछ लोग सभ्यता की दौड़ में आगे बढ़ गए हैं.  कोल लोग कद में छोटे होते हैं, लेकिन नाक चपटी होती है।

  "एक सामान्य धारणा है कि हिंदू धर्म और संस्कृति के सभी सर्वोत्तम तत्व आर्यों से प्राप्त हुए हैं, और इसमें जो कुछ भी प्यारा, अपमानजनक या अंधविश्वासी है वह इसमें मिश्रित आदिम अनार्य तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। यह दृष्टिकोण निश्चित रूप से गलत है  ... और हमें यह स्वीकार करना होगा कि आर्यों के धार्मिक विचारों और मान्यताओं को प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉइड्स और द्रविड़ों द्वारा गहराई से संशोधित किया गया है 

old history ncert


जिनके साथ वे भारत में संपर्क में आए थे।"  -डॉ।  आर.सी.  मजूमदार कोल सभ्यता कोल लोगों की गिनती भारत की असभ्य जातियों में की जाती है।  ये लोग मुंडा भाषा बोलते हैं और गांवों में रहते हैं।  ये बहुत ही सरल स्वभाव और शांतिप्रिय होते हैं।  वे अजनबियों से बहुत डरते हैं और उनसे दूर रहने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे परिचितों के साथ खुशी से रहना चाहते हैं।  अब कोलों के जीवन का संक्षिप्त परिचय प्राप्त कर लेना आवश्यक है।

 (1) जीविका के साधक को भारत के आदिव में यह लोग जानवरों का शिकार करता और प थे। परन्तु कालान्तर में यह लोग कृषि भी करने लगे और पशुओं को पालने धान तथा गन्ने की खेती किया करते थे और हाथियों को 

(2) सहयोग का जीवन- कोल लोग संगठन बनाकर गांव में निवास करते थे। श

के लिये एक साथ जाया करते थे और भोजन भी यह लोग एक साथ ही किया करते थे।

यह लोग बड़े मेल-जोल के साथ रहते थे और एक-दूसरे की सहायता करने के लिये ना तैयार रहते थे।

कोल सभ्यता


(3) सामाजिक जीवन-कोल लोगों में जाति प्रथा नहीं थी और न उनमें कोई वर्ग-भेद था। समाज में ऊंच-नीच का कोई भेद-भाव ना था और सभी समान समझे जाते थे। कोल लोगों को अपने बच्चों की शिक्षा का बड़ा ध्यान रहता था। यह शिक्षा व्यवहारिक होती थी और गण के एक पदाधिकारी द्वारा दी जाती थी।

(4) दण्ड विधान- कोलों के अपने अलग नियम होते थे और इन्हीं नियमों के अनुसार अपराधियों को दण्ड दिया जाता था। जो लोग बड़े अपराध करते थे, वे गांव के बाहर निकाल दिये जाते थे।

(5) धार्मिक विचार-कोल लोग किसी सर्वशक्तिमान दयालु भगवान में विश्वास नहीं करते थे। वे केवल भूत-प्रेत में विश्वास करते थे और भय के कारण उनकी पूजा थे। उनका यह विचार था कि यदि प्रेत लोग अप्रसन्न हो जायेंगे तो उन्हें और अगर प्रसन्न रहेंगे तो उनका कल्याण करेंगे। अतएव हुन प्रेतों को प्रसन्न रखने के लि वे उन्हें मोटी रोटी, शहद तथा दूध चढ़ाया करते थे। उन्हें प्रसन्न रखने के लिये पशुओं तथा पक्षियों की बलि भी दिया करते थे। इन लोगों का विश्वास था कि भूत बड़े-बड़े पेड़ों में निवास करते हैं; अतएव यह लोग पेड़ों की पूजा किया करते थे।"


शव विसर्जन old history ncert


कोल लोग मृतक शरीर को फेंक दिया करते थे जो वायु तथा सूर्य के प्रकाश द्वारा नष्ट हो जाया करता था। कभी-कभी वे शव को पशु-पक्षियों को समर्पित कर देते थे, जो उन्हें खा जाया करते थे । यदा-कदा वे शव को गाड़ भी देते थे ।


द्रविड़ कौन थे? Who were Dravid?



कोलों के साथ-साथ भारतवर्ष में एक दूसरी जाति भी निवास करती थी, जो द्रविड़ कहलाती थी। यही लोग भारत के अत्यन्त प्राचीन निवासी माने जाते हैं। इनका कद छोटा, सिर बड़ा, नाक छोटी तथा चपटी और रंग काला होता था। जिस समय आर्य लोग भारतवर्ष में आये, उन दिनों द्रविड़ लोग भारत के विभिन्न भागों में निवास करते थे। आर्यों ने उन्हें अनार्य, दरयु आदि नामों से पुकारा है। आर्यों ने द्रविड़ को उत्तरी भारत से मार भगाया। फलतः द्रविड़ लोग दक्षिण भारत में भाग गये और वहीं पर स्थायी रूप से निवास करने लगे। Who were Dravid? यह कौन लोग थे यह सवाल भी आज तक बना नहीं हुआ है. 

द्रविड़ों वड़ों का आदि देश The original country of the Dravidian clans


द्राविड़ लोग भारत के मूल निवासी थे अथवा अन्य जातियों की भांति यह लोग बाहर के भारत में आये थे, इस प्रश्न पर विद्वानों में बड़ा मतभेद है। कुछ विद्वानों के विचार में द्वादिष्ट लोग दक्षिण भारत के मूल निवासी थे; 

परन्तु अधिकांश विद्वानों की यह धारणा है कि द्रविड़ लोग बाहर से भारत में आये थे। अब प्रश्न यह उठता है कि यह लोग किस मार्ग के इस देश में आये थे? कुछ विद्वानों का कहना है कि द्रविड़ लोग मंगोल जाति के थे और उत्तर-पूर्व के मार्ग से इस देश में आये थे । 

कुछ विद्वानों के विचार में हिन्द महासागर में लेमूरियां नाम का एक महाद्वीप था, जो पानी में डूब गया है। इन विद्वानों के विचार में द्रविड़ लोग इसी महाद्वीप के मूल निवासी थे और वहीं से भारतवर्ष में आये थे । अन्य लोगों के विचार में द्रविड़ लोग पश्चिम एशिया के आदी निवासी थे और बलूचिस्तान होते हुए उत्तर-पश्चिम के मार्गों से भारत में आये थे । 

द्रविड़ों का मूल स्थान चाहे जहां हो, इतना तो निर्विवाद है कि अन्त में यह लोग दक्षिण भारत में स्थायी रूप से निवास करने लगे और वहीं पर इनकी सभ्यता तथा संस्कृति का विकास हुआ। बहरहाल ये  जो भी थे यह थे भारत के पुराने old history ncert के सबसे पहले लोगों में से इसके बारे में क्या राय है कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं

old history ncert


द्रविड़ सभ्यता ~Dravidian Civilization


घने विद्वानों की यह धारणा थी कि आर्य सभ्यता ही भारत की सबसे पुरानी सभ्यता है परन्तु अब यह सिद्ध कर दिया गया है कि द्रविड़ सभ्यता, आर्य सभ्यता से कहीं अधिक पुरानी है। आयों ने द्रविणों को दस्यु, दानव, राक्षस आदि नामों से पुकारा है-इससे ऐसा है कि द्रविड़ लोग बिल्कुल असभ्य थे; परन्तु वास्तव में ऐसी बात न थी। द्रविड़ लोग सभ्यता की दौड़ में काफी आगे बढ़ गये थे, जो निम्नलिखित विवरण से स्पष्ट हो जायेगा-

(1) निवास स्थान- Residence Location

द्रविड़ लोगों तथा नगरों में निवास करते थे। भारतवर्ष में नगरों का निर्माण सबसे पहले वों ने ही किया था। शत्रुओं से इन नगरों की रक्षा करने के लिये वे इनकी किलेबन्दी कर लिया करते थे, अतएव नगरीय जीवन तथा नगरीय सभ्यता का आरम्भ द्रविड़ों ने ही किया था।

(2) जीविका के साधन - means of livelihood
-चूंकि द्रविड़ लोग गांव तथा नगरों में निवास करते थे, अतएव कृषि तथा व्यापार इनकी जीविका के साधन थे। जो द्रविण गांवों में रहते थे, वे बड़े कुशल किसान होते थे और विभिन्न प्रकार की खेती किया करते थे। अपने खेतों को सींचने के लिये यह लोग नदियों में बांध बनाते थे। उन पर ये पुल भी बनाते थे, 

जिससे वे उन्हें आसानी से पार कर सकें। कृषि के अलावा द्रविड़ लोग व्यापार भी करते थे। व्यापार में इन लोगों की बड़ी रुचि थी और शान्तिपूर्वक यह लोग विदेशों के साथ व्यापार करते थे। यह लोग बड़े चतुर नाविक होते थे और निकट के दीपों में इन लोगों ने अपने उपनिवेश स्थापित करने का प्रयत्न किया था।

(3) सामाजिक संगठन - social organization
-द्रविड़ों का समाज मातृक था और माता ही कुटुम्ब की प्रधान हुआ करती थी। इन लोगों में चचेरे भाई-बहनों में विवाह हो सकता था। यह प्रथा इन लोगों मैं अब भी प्रचलित है। जाति प्रथा का प्रचार इन लोगों में ना था। इनके समाज में केवल ब्राह्मण तथा शुद्र होते थे। क्षत्रिय तथा वैश्य इनके समाज में ना थे। अपने मुर्दों को वह लोग गाड़ते थे; परन्तु जब यह आर्यों के सम्पर्क में आये, तब उन्हें जलाने भी लगे।

(4) धार्मिक जीवन
-द्रविड़ों के धार्मिक विचार बड़े ही स्पष्ट थे। यह लोग पृथ्वी की पूजा किया करते थे। अपने देवी-देवताओं में सबसे अधिक प्रधानता इन लोगों ने माता देवी को दी थी। शिवलिंग की पूजा द्रविड़ों में प्रचलित थी। यह लोग पशुओं की भी पूजा किया करते थे। शिव को यह लोग पशुपति कहते थे। संभवतः यह लोग शेषनाग के भी उपासक थे। 

प्राचीन काल के द्रविड़ प्रेतों की भी पूजा किया करते थे और उन्हें बलि दिया करते थे। पान, फल तथा फल से पूजा करने की विधि सम्भवः द्रविड़ों से ही आरम्भ हुई। अपने देवी-देवताओं की पूजा के लिये लोग मंदिर बनवाया करते थे।

यहां से आगे का दूसरा पार्ट बहुत जल्दी हम आप लोगों के लिए लेकर आएंगे। इसके लिए आप हमारे ब्लॉग  को फॉलो कर सकते हैं। history of India भारत का यह इतिहास old history ncert आप लोगों को कैसा लगा, और यह पोस्ट कैसी लगी, आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।

NEXT:- सिन्धु घाटी की सभ्यता ~ history of india Part 2




Featured

Break

Contact form

Name

Email *

Message *

Search This Blog

Nasir Buchiya

Nasir Buchiya
Hello, I am Nasir Buchiya. I am a history writer. Ancient Indian History, Gurjar Gotra, Rajputana History, Mewat History, New India etc.,
3/related/default

Home Ads

Facebook

ttr_slideshow

Popular Posts

Most Recent

Recent Posts

recentposts

Popular Posts