Sunday, August 27, 2023
- August 27, 2023
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Tuesday, August 22, 2023
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Mysterious Origin of Mewat
Ancient civilizations and cultural flourishing
Mewati Dynasty: Guardians of the Land
history of Mewat and the Mughal Empire
British Raj: Winds of Change ~ history of Mewat
Role of Mewat in India's freedom struggle
Mewat Today: Adapting to the Modern World
Conclusion History of Mewat
Friday, August 18, 2023
- August 18, 2023
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Introduction:
Assalamualaikum friends, in today's post I will tell you that jcb full form and JCB Ki full form kiya hai.
What is the name of JCB? Full form JCB hindi | JCB is a very big company. Which supplies from around 150 countries.
It has more than 20 factories in India and one factory in Faridabad. But now Jaipur has become its second unit in Rajasthan. I will tell you what is its full name, who made it, and why it was made.
JCB Machine Company India
JCB Machine Company used to be in Ballabhgarh Faridabad earlier in India. But now a new JCB plant has been set up in Rajasthan's Jaipur City, from where it is now assembled. Although some work is still being done in Ballamgarh, the plant is now believed to be in Jaipur.
full form of jcb
The full form of JCB is an infallible first. And people also want to know a lot what is the full form of JCB i.e. what is the name of JCB. jcb is its short name. Before knowing the name of jcb, we need to know what jcb has done.
what is jcb
Is there a bigger question than jcb full form? What is JCB what is JCB JCB is a machine that makes the work of us humans easy. When it was made, before that we humans used to lift any kind of work like digging a pit or lifting such a heavy thing with our hands. Or for that, with the help of some big sticks, we used to lift those thick and heavy stones or any other thing and take them to another place.
And in this work, we need 10 laborers, 15 laborers, 20 laborers, 50 men, thousand laborers, in this way we used to do our work. That is, we needed more humans, but since JCB was made, the work of us humans has become easier. Firstly, our time is saved and on top of that, the work is also done quickly.
Earlier the work which used to take us a month to do, now that work is done in just a few hours and probably our money is also saved due to this. JCB was designed with this definition. ke jcb kiya hai I hope you too must have understood. jcb kiya hai just came from here we will tell you what is jcb in full form.
when was jcb created?
Before knowing the full form of jcb, it is also important to know when it was created. Now do you know what was the purpose of making it? And also you understood what JCB is. But you also need to know in which year JCB was started. That is, the one whom we call his birthday means the day he was born.
Joseph Cyril Bamford Excavators Ltd was founded by Joe Sy Bamford in October 1945 in Uttoxeter, Staffordshire, England. They rented a lock-up garage measuring 3.7 by 4.6 meters (12 by 15 ft). In this, using a welding set that he had bought second-hand from English Electric for £2-10s (= £2.50).
jcb full form? full form of jcb machine
Now let's talk about our main topic, what is jcb full form? What is the full form of JCB? Full form JCB, tell the full form of JCB, full form of jcb machine, all these things are the same, as many people have any of these questions in their mind, they all search for the same thing jcb full form i.e. JCB what is his full name.
The full name of Jcb is Josephy Cyril Bamford. JCB got its name from its founder Joseph Cyril Bamford. These three names are its makers by whose name "Joseph Cyril Bamford" jcb is known. jcb It was named because "Joseph Cyril Bamford" no one can remember the name.
Joseph Cyril Bamford JCB is a machine manufacturing multinational company. Whose headquarter is in Rocester, Staffordshire, United Kingdom. It manufactures about 300 types of machines. Mainly it manufactures machines used in heavy construction works. And in this work, it has the third place in the world. youtube
Conclusion:
If you like our jcb full form, jcb ki full form, please tell us in the comment. I bring such information. Like jio ki full form kiya kiya, what do you want to become, your decision your future. follow me
Saturday, August 12, 2023
- August 12, 2023
- Asmina Mewati
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प्रस्तावना
आर्यों के भारत आगमन एक रहस्यमय और महत्वपूर्ण विषय है जिस पर विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। यह विषय bharat ka itihaas और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से रोचक है और इससे संबंधित कई प्रश्न भी हैं। इस लेख में, हम आर्यों के भारत आगमन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे जिससे पाठक इस महत्वपूर्ण विषय को समझ सकेंगे।
भारतीय इतिहास में आर्यों का स्थान
bharat ka itihaas आर्यों के परिचय
आर्य भाषा और संस्कृति का परिचय
आर्यों के भारत आगमन के समय का अध्ययन
आर्यों के भारत आगमन के कारण
अपेस्ता में यह भी लिखा है कि उनके देवता अहुरमन्द ने जिस देश का निर्माण किया था, उसमें दस महीने सर्दी और केवल दो महीने गर्मी पड़ती थी। इससे यह पता लगता है कि वह प्रदेश कहीं उत्तरी ध्रुव प्रदेश के निकट ही रहा होगा। अवेस्ता में यह भी लिखा है कि उस प्रदेश में एक बड़ा तुषारापात हुआ, जिससे उन लोगों को अपनी जन्मभूमि
त्याग देनी पड़ी। तिलक जी का कहना है कि जिस समय आर्य लोग उत्तरी ध्रुव प्रदेश में रहते थे, उन दिनों वहां पर बर्फ ना थी और वहां पर सुहावना वसन्त रहता था। कालांतर में वहां पर बड़े जोरों की बर्फ गिरी और संभवतः
भूगोलिक कारण
श्री अविनाश चन्द्र दास के विचार में सप्त सिंधु ही आय का आदि देश था कुछ अन्य विद्वानों के विचार में काश्मीर तथा गंगा का मैदान आर्यों का आदि देश था। भारतीय सिद्धान्त के समर्थकों का कहना है कि आर्य ग्रन्थों में आयों के कहीं बाहर से आने की चर्चा नहीं है ये bharat ka itihaas में एक अनसुलझी कहानी है.
आर्यों के भारत आगमन के प्रभाव
वैसे तो आर्यों के भारत आगमन में ही विवाद है लेकिन जब भी यह भारत में आए। इन्होंने धीरे-धीरे करके पहले उत्तर भारत को साउथ भारत को और लास्ट में जाकर दक्षिण भारत में अपनी पहचान बनाई। या यह कह के अपनी हुकूमत बनाई थी। इससे प्रभाव यह पड़ा कॉल और डार्विद की हुकूमत और पहचान ख़तम हो गई।
आर्यों के भारत आगमन के संबंध में विवाद
आर्यों के भारत आगमन पर जितने भी बड़े इतिहासकार हुए हैं। किसी का एकमत नहीं है। सब ने अपनी अपनी राय अपने तथ्यों के तौर पर लिखी है। किसी का कहना है आरए भारत के ही लोग थे। आर्य को कुछ ने कहा के मध्य एशिया से आए। कुछ अफ़गानिस्तान वगैरह से आये। तो इस वजह से किसी का भी इसमें इत्तेफाक नहीं है। इसी वजह है कि आर्यों के भारत आगमन पर आज तक विवाद बना हुआ है।
bharat ka itihaas में आर्य आगमन का समय
bharat ka itihaas में आर्यों का भारत में आगमन का समय परफेक्ट तो किसी को भी नहीं मालूम है। लेकिन इतिहासकारों ने इस बात का पता लगाया है कि कई सौ हजारों साल पहले यह भारत में आए थे।
आर्यों के भारत आगमन का इतिहास
आर्यों का सम्राट संभवन
प्राचीन आयों का कोई विशाल संगठित राज्य न था, वरन् वे छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त थे, जिनमें प्रायः संघर्ष हो जाया करता था। फलतः आयों को न केवल अनायों से युद्ध करना पड़ा, वरन् उनमें आपस में भी युद्ध हो जाया करता था। ऋग्वेद में इस प्रकार के एक युद्ध का वर्णन है,जैसे mewat के itihaas का मिलता है
वेदों में आर्यों का उल्लेख
प्राचीन आर्यों ने अपने ग्रन्थों में इसी सप्त सिन्धु का गुणगान किया है। इसी जगह उन्होंने वेदों की रचना की थी और यहीं पर उनकी सभ्यता तथा संस्कृति का सृजन हुआ था। यहीं से भारतीय आर्य शेष भारत में फैले थे. वेदों की ये गुथ्थी bharat ka itihaas की कुछ अलग ही कहानी बयान करती है .
आर्यों के भारत आगमन की संभावना
आर्यों के भारत आगमन का परिणाम
भारतीय संस्कृति में परिवर्तन
भाषा का परिवर्तन
धार्मिक असर
यह बात तो मालूम पड़ती है कि आर्य भी सनातन धर्म से ही ताल्लुक रखते थे क्योंकि इतिहास में कई ऐसे देवताओं के नाम मिले हैं जो श्री वेद और यजुर्वेद में है। अपेस्ता में यह भी लिखा है कि उनके देवता अहुरमन्द थे।
आर्यों के भारत आगमन के विचार
यह बात तो सही है आर्य पहले से ही खेती आर्किटेक्ट बहादुर लड़ाकू हर चीज में वह आगे ही थे वह उनका कोई भी मूल निवास स्थान हो उसको छोड़ने के ज्यादा कारण तो नजर नहीं आते एक या दो ही नजर आते हैं। या तो उनकी जब जनसंख्या बढ़ी तो उन्होंने अपने जानवरों के चारा के लिए जमीन के लिए रहन सहन करने के लिए ही अपने मूल निवास स्थान से अपनी यात्रा शुरू करके वह भारत आए थे। या फिर उस जगह पर कुछ ऐसा बड़ा हादसा हुआ जिसकी वजह से मजबूरन उन्होंने अपने मूल स्थान को छोड़ना पड़ा।
आर्यों के भारत आगमन के अनुसार विद्वानों के म त
लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के विचार में उत्तर प्रदेश आर्यों का आदि देश था। अपने मत के समर्थन में तिलक जी ने वेदों तथा अवेस्ता का सहारा लिया है। ऋग्वेद में छः महीने की रात तथा छः महीने के दिन का वर्णन है। वेदों में उपा की स्तुति की गई, जो बड़ी लम्बी होती थी। ये सब बातें केवल उत्तरी ध्रुव प्रदेश में पायी जाती है। अपेस्ता में यह भी लिखा है कि उनके देवता अहुरमन्द ने जिस देश का निर्माण किया था, उसमें दस महीने सर्दी और केवल दो महीने गर्मी पड़ती थी। इससे यह पता लगता है कि वह प्रदेश कहीं उत्तरी ध्रुव प्रदेश के निकट ही रहा होगा।
सिर्अग्वेवेद में यह भी लिखा है कि उस प्रदेश में एक बड़ा तुषारापात हुआ, जिससे उन लोगों को अपनी जन्मभूमि त्याग देनी पड़ी। तिलक जी का कहना है कि जिस समय आर्य लोग उत्तरी ध्रुव प्रदेश में रहते थे, उन दिनों वहां पर बर्फ ना थी और वहां पर सुहावना वसन्त रहता था। कालांतर में वहां पर बड़े जोरों की बर्फ गिरी और संभवतः इसी का उल्लेख अवेस्ता में किया गया।
इस तुषारापात के कारण आर्यों ने अपनी जन्मभूमि को त्याग दिया और उनकी एक शाखा ईरान को और दूसरी भारतवर्ष को चली गई। यहां से चले जाने पर भी वे लोग अपनी मातृभूमि का विस्मरण न कर सके और इसी से उन्होंने इसका गुणगान अपने धर्मग्रन्थों में किया है। bharat ka itihaas मेंतिलक जी के इस मत में बहुत कम समर्थक हैं।
आर्यों के भारत आगमन के सम्बंध में विवाद
ये बात तो साबित है आर्यों कौल और द्रविड़ से सभ्यता से अलग हैं. bharat ka itihaas के सिद्धांत-कुछ विद्वानों के विचार में भारत आयों का आदि देश था और वे कहीं बाहर से नहीं आये थे। जैसा कि डॉ० राधाकुमुद मुखर्जी ने लिखा है, “अब
आर्यों के आक्रमण और भारत के मूल निवासियों के साथ उनके संघर्ष की प्राक्कल्पना को धीरे-धीरे त्याग दिया जा रहा है।" "The hypothesis of an Aryan invasion and their clash with the aborigines of India is now gradually being abondoned." कोल और द्रविड़ सभ्यता कोल कौन थे.
निष्कर्ष
आर्यों के भारत में आगमन एक रहस्यमय और महत्वपूर्ण घटना थी जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का कारण बनी। सिन्धु घाटी की सभ्यता किया है. इस घटना के पीछे भूगोलिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कई कारण थे जो भारतीय समाज और संस्कृति को अगले स्तर पर ले जाने में सहायक साबित हुए। आर्यों के आगमन के समय की गहराई में छिपे विवादों और विचारधारा के प्रश्नों के चलते इस विषय पर विभिन्न विद्वानों के बीच चर्चा होती रही है।
अधिक जानकारी के लिए, इ स प्रशांत पर अक्सर पूछे जाने वाले पांच सवाल निम्नलिखित हैं:
Q 1. किया आर्यों के भारत में आगमन के समय के बारे में नए खोजों ने नई जानकारी प्रदान की है?
A. अभी तक तो नहीं।
Q 2. आर्यों के भारत आगमन के संबंध में अलग-अलग विचारधाराएं कैसे हैं?
A. इसके पीछे की असली वजह हैं इतिहासकारों की अलग-अलग मत.
Q 3. वेद, ब्राह्मण, उपनिषद और पुराण में आर्यों के भारत आगमन के संबंध में कौन-कौन से स्रोत हैं?
A. वैद में लिखे आर्यों सब्द या आर्ये से.
Q 5.आर्यों के भारत आगमन ने भारतीय समाज और संस्कृति पर कैसा प्रभाव डाला?
Q 6. आर्यों के भारत में आगमन के समय के विवादों को समझने के लिए विभिन्न साक्ष्य प्रमाणों का उपयोग कैसे किया जा सकता है?
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Wednesday, August 2, 2023
- August 02, 2023
- Asmina Mewati
- history of india in hindi
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आर्यों का भारत आगमन हाय, संपूर्ण भारत के इतिहास का आज यह पार्ट नंबर 4 है। आज की पोस्ट में हम ancient history of india में जानेंगे आर्यों का भारत आगमन के बारे में।
भारत में आर्यों का भारत आगमन कब हुआ था। और कैसे हुआ था। आर्यों के बारे हमारा इतिहास और इतिहास कार किया कहते हैं। में आज के इस पोस्ट में पूरी डिटेल से हम जानने की कोशिश करेंगे।
ancient history of india आर्य कौन थे?
who were the arya आर्य संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है श्रेष्ट अथवा अच्छे कुल में उत्पन्न। परन्तु व्यापक अर्थ में आर्य एक जाति का नाम है, जिनके रूप रंग, आकृति तथा शरीर का गठन विशेष प्रकार का होता है। यह लोग लम्बे डील-डाल के, हृदय पुष्ट, गोरे रंग के, लम्बी नाक वाले और वीर तथा साहसी होते थे।
भारत, ईरान तथा यूरोप के विभिन्न देशों के निवासी इन्हीं की सन्तान माने जाते हैं। सबसे पहले आर्य शब्द का प्रयोग वेदों के लिखने वालों ने किया था। इन आचार्यों ने अपने को आर्य और अपने विरोधियों को दस्यु अथवा दास कहना आरम्भ किया। अपने को आर्य कहने का कारण यह जान पड़ता है कि ये लोग अपने को अनार्यों से अधिक श्रेष्ठ तथा कुलीन समझते थे।
आर्य के बारे में और जानकारी? More about Arya
आर्य लोग शीतोष्ण कटिबंध के निवासी थे; और दूध, मांस तथा गेहूं इनके खाद्य पदार्थ थे। ठंडी जलवायु में रहने तथा पौष्टिक पदार्थों के खाने के कारण ये बड़े ही बलिष्ठ, बीर तथा साहसी होते थे। यह लोग अपने जीवन के आरम्भिक काल में बड़े पर्यटनशील थे और एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमा करते थे। यह लोग पशुओं को पालते थे और कृषि करना भी जानते थे। यह लोग बड़े युद्धप्रिय होते थे और अपने हथियारों को बड़ी चतुरता से चला सकते थे। प्रकृति से इन लोगों का बड़ा प्रेम था और हर प्रकार के विचारों तथा भावों को ग्रहण करने के लिए ये लोग उद्यत रहते थे।
The history of India is mainly that of the Aryans of India, its source is Rigveda which is the earliest book not merely of Indians but of the entire Aryan race. This throws light not merely on Indo-Aryan history but no general. Aryan origins, on pre-historic phases of Aryan Religion, culture, and language." -Dr. R.K. Mukherji
आर्यों का मूल निवास स्थान कहां था?
आर्यों का भारत आगमन और आर्यों की भाषा इस तरह की जानकारी भारतीय ancient history of india में एक विवाद का विषय है | आर्यो का आदिदेश- आर्यों का मूल निवास स्थान कहां था, यह एक अत्यन्त विवादग्रस्त
प्रश्न है। इसी से स्मिथ महोदय ने लिखा है, “आयों के मूल स्थान की विवेचना जानबूझकर
नहीं की गई है, क्योंकि इस विषय पर कोई भी धारणा स्थापित नहीं हो सकी है।"
"Discussion concerning the original seat or home of Aryans is omitted purposely, because on hypothesis on the subject seems to be established." -V.A. Smith
आर्यों के भारत आगमन का इतिहास
इनके आदि देश के अन्वेषण करने में विद्वानों ने भाषा विज्ञान, पुरातत्व तथा जातीय विशेषताओं का सहारा लिया है। चूंकि इन विद्वानों ने विभिन्न साधनों का सहारा लिया है। और विभिन्न दृष्टिकोणों से इस समस्या पर विचार किया है, अतएव यह लोग विभिन्न निष्कर्षो पर पहुंचे हैं और आर्यों आदि के देश के सम्बन्ध में चार सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है, अर्थात्-
आर्यों के भारत आगमन की संभावना
यूरोपीय सिद्धान्त-भारत तथा संस्कृति की समानता के आधार पर कुछ विद्वानों ने यूरोप को आर्यों का आदि देश बतलाया है। आर्य लोग सबसे अधिक संख्या में भारतवर्ष, इरान तथा यूरोप के विभिन्न देशों में पाये जाते हैं। इनकी भाषा में बड़ी समानता पायी जाती है। पितृ, पिदर, पेदर तथा फादर और मातृ, मादर, मेटर तथा मदर शब्द एक ही अर्थ में संस्कृत, फारसी, लैटिन तथा अंग्रेजी भाषाओं में प्रयोग किये जाते हैं।
इनसे ऐसा प्रतीत होता है कि इन भाषाओं के बोलने वाले कभी एक स्थान पर रहते रहे होंगे। अब यह जान लेना आवश्यक है कि यूरोप में कौन सा स्थान आर्यों का आदि देश हो सकता है। डा० पी० गाइल्स के विचार में आस्ट्रिया-हंगरी का मैदान आर्यों का आदि देश था, क्योंकि यह मैदान समशीतोष्ण कटिबन्ध में स्थित है और वह सभी पशु तथा वनस्पति अर्थात् गाय, बैल, घोड़ा, कुत्ता, गेहूं, जौ आदि इस मैदान में पाये जाते हैं, जिनसे प्राचीन आर्य परिचित थे।
आर्यों का सम्राट संभवन
पेन्का ने जर्मन प्रदेश को और नेहरिंग ने दक्षिण रूस के घास के मैदानों को आयाँ का आदि प्रदेश बतलाया है। जिन विद्वानों ने यूरोप को आर्यों का आदि देश बतलाया है, उन्होंने अपने मत के समर्थन में कई तर्क भी उपस्थित किये हैं। उनका कहना है कि यूरोप का यह मैदान शीतोष्ण कटिबंध में स्थित है; जहां उन सभी पक्षियों तथा वनस्पतियों क होना संभव है जिनका उल्लेख आर्य साहित्य में किया गया है।
यह मैदान उन स्थानों के निक है जहां यूरोप के आर्यों की भिन्न-भिन्न शाखाएं निवास कर रही हैं। चूंकि यूरोप में आय की संख्या एशिया के आर्यों से अधिक है, अतएव यह संभव है कि आर्य लोग पश्चिम पूर्व की ओर गये हों। इस क्षेत्र में कोई ऐसे सघन वन, मरुभूमि अथवा पर्वत मालाएं न हैं जिन्हें पार नहीं किया जा सकता। अतएव पश्चिम की ओर से पूर्व को जाना अत्यन्त सर है। यूरोपीय सिद्धान्त के समर्थकों का यह कहना है कि प्रव्रजनः प्रायः पश्चिम से पूर्व व हुआ है, पूर्व से पश्चिम को नहीं ।
वेदों में आर्यों का उल्लेख ~ancient history of india
मध्य एशिया का सिद्धान्त-जर्मन विद्वान मैक्समूलर ने मध्य एशिया को आ का आदि देश बतलाया है। मैक्समूलर महोदय का कहना है कि आर्य जाति तथा उस सभ्यता एवं संस्कृति का ज्ञान हमें वेदों तथा अवेस्ता से होता है, जो क्रमशः भारतीय त ईरानी आर्यों के धर्मग्रंथ हैं। इन ग्रन्थों के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत तथा ईरानी आर्य बहुत दिनों तक एक साथ निवास करते रहे थे। अतएव इनका आदि भारत तथा ईरान के सन्निकट कहीं रहा होगा। वहीं से एक शाखा ईरान को, दूसरी भारत को और तीसरी यूरोप को गई होगी।
वेदों तथा अवेस्ता से हमें ज्ञात होता है कि प्राच आर्य पशु पालते थे तथा कविता करते थे। अतएव यह एक लम्बे मैदान में रहते रहे हो ये लोग अपने वर्ष की गणना हिम से करते थे, जिससे यह स्पष्ट है कि वह प्रदेश शीतप्र रहा होगा। कालांतर में ये लोग अपने वर्ष की गणना शरद से करने लगे, जिसका ता ये है कि लोग बाद में दक्षिण की ओर चले गये, जहां कम सर्दी पड़ती थी और सुन्दर ऋतु रहती थी। ये लोग घोड़े रखते थे, जिन्हें वे सवारी के काम में लाते थे और रथों में ज थे। गेहूं तथा जौ का भी उल्लेख आर्य ग्रन्थों में मिलता है। भारत का सम्पूर्ण इतिहास (ancient history of india )
आर्यों के भारत आगमन का परिणाम ancient history of india
इन तथ्यों के आधार पर मैक्समूलर महोदय इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि मध्य एी आयों का आदि देश था, क्योंकि ये सभी चीजें वहां पर पाई जाती थीं। यहां पर एक बात यह भी ध्यान देने योग्य है कि बाद में शक, कुषाण, हूण आदि जातियां यहीं से भारत गई थीं। मध्य एशिया से ईरान, यूरोप तथा भारतवर्ष तीनों जगह जाना संभव तथा सरल भी है।
यह संभव है कि जनसंख्या की वृद्धि, भोजन तथा चारे के अमाव अथवा प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण ये लोग अपनी जन्मभूमि को त्यागने के लिये विवश हो गये हो मध्य एशिया में जल का ना होना, भूमि का अनुपजाऊ होना तथा आर्यों का वहां से निर्मूल हो जाना आदि इस मत के स्वीकार करने में कठिनाई उत्पन्न करते हैं, क्योंकि आर्यों के आदिदेश में जल की कमी ना थी और वह बड़ा ही उपजाऊ तथा सम्पन्न देश था।
भारत में आर्य कहां से आए।
यह भारतीय इतिहास (ancient history of india) की बहुत ही लंबी और एक अनसुलझी गुत्थी है जिसको समझाना इतना आसान नहीं है। इसके लिए अभी हमें और भी तथ्य देखने होंगे समझने होंगे ताकि हमें समझ में आए कि भारत में आर्य का भारत आगमन कैसे हुआ।
आकर्क्टिक प्रदेश का सिद्धान्त- ancient history of india बालगंगाधर तिलक
लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के विचार में उत्तर प्रदेश आर्यों का आदि देश था। अपने मत के समर्थन में तिलक जी ने वेदों तथा अवेस्ता का सहारा लिया है। ऋग्वेद में छः महीने की रात तथा छः महीने के दिन का वर्णन है। वेदों में उपा की स्तुति की गई, जो बड़ी लम्बी होती थी। ये सब बातें केवल उत्तरी ध्रुव प्रदेश में पायी जाती है। अपेस्ता में यह भी लिखा है कि उनके देवता अहुरमन्द ने जिस देश का निर्माण किया था, उसमें दस महीने सर्दी और केवल दो महीने गर्मी पड़ती थी। इससे यह पता लगता है कि वह प्रदेश कहीं उत्तरी ध्रुव प्रदेश के निकट ही रहा होगा।
ancient history of india में अवेस्ता में यह भी लिखा है कि उस प्रदेश में एक बड़ा तुषारापात हुआ, जिससे उन लोगों को अपनी जन्मभूमि त्याग देनी पड़ी। तिलक जी का कहना है कि जिस समय आर्य लोग उत्तरी ध्रुव प्रदेश में रहते थे, उन दिनों वहां पर बर्फ ना थी और वहां पर सुहावना वसन्त रहता था। कालांतर में वहां पर बड़े जोरों की बर्फ गिरी और संभवतः इसी का उल्लेख अवेस्ता में किया गया। इस तुषारापात के कारण आर्यों ने अपनी जन्मभूमि को त्याग दिया और उनकी एक शाखा ईरान को और दूसरी भारतवर्ष को चली गई। यहां से चले जाने पर भी वे लोग अपनी मातृभूमि का विस्मरण न कर सके और इसी से उन्होंने इसका गुणगान अपने धर्मग्रन्थों में किया है। तिलक जी के के मत बहुत कम समर्थक हैं।
भारतीय सिद्धांत-ancient history of india में
आर्यों का भारत आगमन कुछ विद्वानों के विचार में भारत आयों का आदि देश था
और वे कहीं बाहर से नहीं आये थे। जैसा कि डॉ० राधाकुमुद मुखर्जी ने लिखा है, “अब आर्यों के आक्रमण और भारत के मूल निवासियों के साथ उनके संघर्ष की प्राक्कल्पना को धीरे-धीरे त्याग दिया जा रहा है।"
"The hypothesis of an Aryan invasion and their clash with the aborigines of India is now gradually being abondoned."
-Dr. R.K. Mukherji
ancient history आर्यों का मूल देश - कश्मीर
श्री अविनाश चन्द्र दास के विचार में सप्त सिंधु ही आय का आदि देश था कुछ अन्य विद्वानों के विचार में काश्मीर तथा गंगा का मैदान आर्यों का आदि देश था। भारतीय सिद्धान्त के समर्थकों का कहना है कि आर्य ग्रन्थों में आयों के कहीं बाहर से आने की चर्चा नहीं है और न अनुश्रुतियों में ही कहीं बाहर से आने की ओर संकेत मिलता है। इन विद्वानों का यह भी कहना है कि वैदिक साहित्य आयों का आदि साहित्य है यदि आर्य सप्त सिन्ध में कहीं बाहर से आये तो इनका साहित्य अन्यत्र क्यों नहीं मिलता ? ऋग्वेद की भौगोलिक स्थिति से भी यही प्रकट होता है कि ऋग्वेद के मन्त्रों की रचना करने वालों का मूल निवास स्थान पंजाब तथा उसके समीप का ही देश था आर्य साहित्य से हमें यह पता लगता है.
लुप्त हो गई हैं। प्राचीन आर्यों ने अपने ग्रन्थों में इसी सप्त सिन्धु का गुणगान किया है। इसी जगह उन्होंने वेदों की रचना की थी और यहीं पर उनकी सभ्यता तथा संस्कृति का सृजन हुआ था। यहीं से भारतीय आर्य शेष भारत में फैले थे।
ब्रह्मवर्त में प्रवेश-
सप्त सिन्धु से आर्य लोग पूर्व की ओर बढ़े। सप्त सिन्धु से प्रस्थान करने के इनके दो प्रधान कारण हो सकते हैं। प्रथम कारण यह हो सकता है कि इनकी जनसंख्या में वृद्धि हो गई, जिससे इन्हें नये स्थान को खोजने की आवश्यकता पड़ी और दूसरा कारण यह हो सकता है कि अपनी सभ्यता तथा संस्कृति का प्रसार को पड़ी लिये लोग आगे बढ़े।
सप्त सिन्धु से पलायन प्रवृत्ति का जो भी कारण रहा हो, इतने के निश्चित है कि वे बड़ी मन्दगति से आगे बढ़ी क्योंकि अनाथों के साथ उन्हें भीषण संघर्ष करना पड़ा। अनायों से अधिक वलिष्ठ, वीर, साहसी तथा रण-कुशल होने के कारण इन लोगों ने उन पर विजय प्राप्त कर ली और कुरुक्षेत्र के सन्निकट के प्रदेश पर उन्होंने अपना अधिकार स्थापित कर लिया। इस प्रदेश को उन्होंने 'ब्रह्मवर्त' के नाम से पुकारा है।
ब्रह्मर्षि देश में प्रवेश-अपने विरोधियों पर विजय प्राप्त कर लेने से आया का उत्साह बहुत बढ़ गया और उन्होंने अपनी युद्ध यात्रा जारी रखी। अब उन्होंने आगे बढ़ते हुये पूर्वी राजस्थान, गंगा तथा यमुना के दोआब तथा उसके निकटवर्ती प्रदेश पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। इस सम्पूर्ण प्रदेश को उन्होंने ब्रह्मर्षि देश के नाम से पुकारा है।
मध्य प्रदेश में प्रवेश -
ब्रह्मर्षि देश पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लेने के बाद ये लोग आगे बढ़े और हिमालय तथा विन्ध्य पर्वत के मध्य की भूमि पर इन्होंने अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। इस प्रदेश का नाम आर्यों ने 'मध्य प्रदेश' रखा।
सुदूरपूर्व में प्रवेश-
बिहार तथा बंगाल के दक्षिण-पूर्व का भाग आर्यों के प्रभाव से बहुत दिनों तक मुक्त रहा, परन्तु अंत में उन्होंने इस भू-भाग पर भी अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया और सम्पूर्ण उत्तरी भारत (ancient history of india) को उन्होंने 'आयविर्त' के नाम से पुकारा है।
दक्षिणपथ में युद्ध-
विन्ध्य पर्वत तथा घने वनों के कारण दक्षिण भारत में बहुत दिनों तक आय का प्रवेश न हो सका। इन गहन वन तथा पर्वत मालाओं को पार करने का साहस सर्वप्रथम ऋषियों तथा मुनियों ने किया। कहा जाता है कि सबसे पहले अगस्त्य ऋषि दक्षिण भारत में गये थे। इस प्रकार आर्यों की दक्षिण विजय केवल सांस्कृतिक विजय थी। यह राजनीतिक विजय ना थी। धीरे-धीरे संपूर्ण दक्षिण भारत में आर्य लोग पहुंच गये और उसके कोने-कोने में आर्य सभ्यता तथा संस्कृति का प्रचार हो गया। दक्षिण भारत को आर्यों ने 'दक्षिण पथ' के नाम से पुकारा है।
ancient history of india दस राजाओं का युद्ध
भारत का सम्पूर्ण इतिहास- ncient history of india प्राचीन आयों का कोई विशाल संगठित राज्य न था, वरन् वे छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त थे, जिनमें प्रायः संघर्ष हो जाया करता था। फलतः आयों को न केवल अनायों से युद्ध करना पड़ा, वरन् उनमें आपस में भी युद्ध हो जाया करता था। ऋग्वेद में इस प्रकार के एक युद्ध का वर्णन है, जिसे दस राजाओं का युद्ध कहा गया है। part 2
इस युद्ध का वर्णन इस प्रकार किया गया है सरस्वती नदी के किनारे भारत नाम का एक राज्य था, जिस पर सुदास नामक राजा शासन करता था। विश्वामित्र इस राजा के पुरोहित थे। अनवन हो जाने के कारण सुदास ने विश्वामित्र के स्थान पर वशिष्ठ को अपना पुरोहित बना लिया। इससे विश्वामित्र बड़े अप्रसन्न हुये और सुदास के विरुद्ध दस राजाओं को संगठित करके युद्ध छेड़ दिया। परन्तु युद्ध में सुदास को ही विजय प्राप्त हुई। इसी प्रकार के Part 1
निष्कर्ष ~ Conclusion
आर्यों के ncient history of india भारत में आगमन एक रहस्यमय और महत्वपूर्ण घटना थी जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का कारण बनी। इस घटना के पीछे भूगोलिक, सांस्कृतिक और धार्मिक कई कारण थे जो भारतीय समाज और संस्कृति को अगले स्तर पर ले जाने में सहायक साबित हुए। आर्यों के आगमन के समय की गहराई में छिपे विवादों और विचारधारा के प्रश्नों के चलते इस विषय पर विभिन्न विद्वानों के बीच चर्चा होती रही है। Post Part 2